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महासमुंद : सफलता की कहानी भाईयों की कलाई पर सजेंगी बिहान दीदीयों की धान, बांस आदि से बनी राखियाॅ

  द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा


महासमुंद : महासमुंद जिले की महिला स्व-सहायता समूह के द्वारा हस्तनिर्मित राखी जिसे बहनों ने बड़ेे प्रेम और उत्साह से छोटे, नन्हें, बड़े भाइयों के लिए बांस, धान, रखियाॅ बीज, मोती, रुद्राक्ष एवं ऊन सूती धागा से मनमोहक आकर्षक तरीके से बनायी गयी है।
 
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इसे उन्होंने सौम्य बंधन का नाम दिया है। बिहान बहनों ने छत्तीसगढ़ के साथ अपनी अन्य बहनों से इन राखियों को अपने भाइयों की कलाई के लिए खरीद कर छत्तीसगढ़ की संस्कृति मिट्टी की खुशबू के साथ इस पवित्र त्यौहार को हर्षोउल्लास से मनाने कहा है। 
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जिले की समूह की महिलाओं ने कहा है कि बहनें अपने प्यारे भाई के प्रति अपने अटूट प्यार को दर्शाने के लिए उन्हें इन आकर्षक राखियों की भेंट दें। इसे महासमुन्द की ग्रामीण स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा सावधानीपूर्वक, दस्तकारी से खूबसूरत एवं आकर्षक ढंग से बनाया एवं पिरोया गया है।
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आपकी स्नेह भरी खरीदी से उनकी आजीविका बढ़ाने में मदद मिलेगी और 140 से अधिक महिला और उनके परिवारों का उत्साह बढ़ाने में एक अनूठा प्रयास होगा। समूह की महिलाओं ने बताया कि राखी फोन पर ऑर्डर क्रय किये जा रहेें हैं। इच्छुक भाई-बहनें इन नम्बरों पर 99814-06688, 96309-73097 सम्पर्क कर सकते है।

मुख्य कार्यपालन अधिकारी (आई.ए.एस.) श्री आकाश छिकारा ने बताया कि महिला स्व-सहायता समूह के उत्पादित सामग्रियों को सिरपुर के ब्रांड नाम से विक्रय किया जा रहा है। इसके लिए जिला मुख्यालय, सभी ब्लॉक मुख्यालयों में इनके द्वारा निर्मित अलग-अलग प्रकार की सामग्रियों के बिक्री के लिए महिलाओं को स्टॉल भी उपलब्ध करायें गए है।

इसके अलावा स्थानीय हाट बाजारों और राजधानी रायपुर सहित पड़ोसी जिलो में भी इनकी माँग है। यहां पर महिला स्व-सहायता समूह से उत्पादित सामग्रियों को बिक्री की जा रही। इससे महिलाओं के इस प्रयास से उनके आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में आने वाले समय पर बेहतर परिणाम देखने को मिलने लगा है। इससे महिलाएं अपने हुनर और योजना का लाभ उठाकर न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो रही बल्कि वे आत्मनिर्भर बना रही है।
छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान अंतर्गत विकासखण्ड महासमुंद के ग्राम पंचायत कछारडीह, रायतुम, मुनगाशेर, कांपा, कोमाखान, बिरकोनी में श्री कृष्णा, उगता सूरज, राधा कृष्णा, नवा बिहान, ओम महिला, स्वाभिमान, श्री शक्ति महिला, गीता महिला, बजरंग महिला, आदिवासी महालक्ष्मी, जयदुर्गा, जय माॅ अम्बे, जय बजरंग, अन्नपूर्णा, शारदा एवं गायत्री समूह के महिला सदस्यों द्वारा राखी तैयार किया जा रहा है। स्थानीय बाजार में समूह द्वारा बनाई गई राखीं को 10 रूपए से लेकर 50 रूपए तक बेचा जा रहा हैं। जिले के अलावा आसपास के जिलो में भी समूह महिलाओं द्वारा बनाई गई राखीं की अच्छी खासी मांग हैं।

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