ब्रेकिंग न्यूज़

महासमुंद : सफलता की कहानी  पेड़ से घर तक का सफर

 द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा 


रूखमणी बनाती खजूर पत्ते के विभिन्न आकार की झाड़ू और चटाई

अपनी आमदनी में करती 5000 से 6000 का ईजाफा

     महासमुंद : पूरे छत्तीसगढ़ के साथ महासमुंद ज़िले में प्राकृतिक झाड़ूओं का अपना ही एक खास महत्व एवं स्थान है। यहां विशेष प्रकार की झाड़ूओं का चलन है, जिसमें सबसे अधिक लोकप्रिय घास, खजूर के पत्ते, आदि से बनने वाले झाड़ू आते हैं।
No description available.

 झाड़ू उन उत्पादों की श्रेणी में आता है, जिसकी मांग वर्ष भर लगभग एक जैसी ही बनी रहती है। वैसे तो सबसे अधिक मांग सिंक झाड़ू (हार्ड ब्रूम) एवं फूल झाड़ू (सॉफ्ट ब्रूम ) के नगरीय क्षेत्रों में किंतु आज भी ग्रामीण अंचल में और बड़े गांवों में खजूर पत्ते की झाड़ू की बहुत मांग है। 
No description available.

इन झाड़ूओं का निर्माण अधिकतर हाथों से ही होता है। हालांकि बदलते हुए समय के साथ बिजली से चालित उपकरण भी चलन में आ गए हैं, जो साफ-सफाई को अधिक सरल बना देते हैं। लेकिन झाड़ू सस्ता एवं सुलभ संसाधन है।

 ज़िले की ग्रामीण महिलायें अपने रोज़मर्रा कामकाज एवं खेती किसानी के साथ प्राकृतिक सामग्री खजूर के पत्ते का विभिन्न आकर का झाड़ू बनाती है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के अंतर्गत ज़िले की इच्छुक महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया गया है।

    महासमुन्द जिले के विकासखण्ड की ग्राम पंचायत ओंकारबंद की जय माँ खल्लारी स्व-सहायता समूह से जुड़ी श्रीमती रुखमणी पारधी, शिवबती छोटी सी खेती किसानी के साथ-साथ खजूर के पत्ते से झाड़ू, चटाई एवं अन्य घरेलू सामग्री बनाने का काम करती है। 

वे कहती है कि इससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी हो जाती है। श्रीमती पारधी आगे बताते हुए कहा कि जंगल, खेतों की मेड़ या अन्य जगह पर लगे खजूर के पेड़ से पत्ते लाती है। लाने में कठिनाई होती है। तोड़े गए पत्तों को सिर पर ढोकर लाना पड़ता है।

 पत्ते तोड़ने के लिए हँसिया आदि का उपयोग करती है। बारिश में दूरस्थ अंचल के जंगल से पत्ते लाने में कई बाधाएं आती है। इसके अलावा पत्ते सूखने में भी समस्या आती है। इसलिए खजूर पत्ते इकट्ठे करने और सुखाने का काम माह मई के अंत तक कर लेते है। वैसे झाड़ू बनाने का काम कुछ दिन बारिश को छोड़ बारह महीने होता है।

    श्रीमती पारधी बताती है कि ज़िले के ग्रामीण घरों की अभी भी कमरें, आँगन दलान आदि कच्ची होती है। जिस पर खजूर के झाड़ू से सफ़ाई करने में आसानी और अच्छी होती है। इस कारण ग्रामीण हाट-बाज़ार में यह आसानी से बिक जाते है। एक झाड़ू की क़ीमत 25 रुपए से 50 रुपए तक है।

 लेकिन मेहनत को देखते हुए कम है। खेती किसानी के साथ-साथ 5000 से 6000 की कमाई आसानी से हो सकती है। बस आपके झाड़ू की क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए। झाड़ू को कई तरह से बनाया जा सकता है। आपको तय करना है कि आप किस तरह का झाड़ू बनाना चाहते हैं। वे सड़क के किनारें और हाट-बाजारों में झाड़ू की ढेरी लगाकर अपने झाड़ूओं को विक्रय करती है। 

     झाड़ू बनाने से लेकर उसे बांधने तक सारा काम खजूर के पत्ते से ही किया जाता है। झाड़ू बांधने के लिए पत्तों से ही बारीक सुतली के तरह की डोरी बनाई जाती है। जिसका झाड़ू बांधने में इस्तेमाल किया जाता है। इस काम को करने के लिए आपको बहुत अधिक जगह की जरूरत नहीं है। 

आप इस काम को थोड़ी सी जगह से भी कर सकते हैं सबसे खास बात तो यही है कि इसके लिए विशेष तरह की जगह की भी जरूरत नहीं है और न ही कोई ख़ास पूँजी की ज़रूरत होती है। प्राकृतिक सामग्री जंगल, खेतों आदि से मिल जाती है।

Related Post

Leave A Comment

छत्तीसगढ़

Facebook