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महासमुन्द : जनजतियों का सहारा हरा सोना

 द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा 


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महासमुन्द : छत्तीसगढ में कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर ने कुछ असर छोड़ा। लेकिन इन दोनों लहर की रोकथाम एवं नियंत्रण में काफ़ी सफलता पायी। शासन के साथ ज़िला प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी भी अब पूरे अनुभव के साथ कोरोना से मुक़ाबला करने खड़े हुए। इसमें हम काफ़ी सफल भी हुए। कोरोना की रफ़्तार अब धीमी पड़ी है। फिर भी सतर्कता की ज़रूरत है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर से लड़ने के साथ सरकार का ध्यान आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के साथ जनजातियों की आर्थिक स्थित की ओर भी था । हर वर्ग के साथ जनजातियों के सेहत की चिन्ता तो थी वही उनकी आर्थिक स्थित की भी चिन्ता की गई। ऐसे में सुरक्षित तरीक़े तेंदूपत्ता तोड़ाई का काम कराया गया। इसका उन्हें समय पर भुगतान भी दिलाया गया। कोरोना के चलते जनजतियों का हरा सोना कहने वाले तेंदूपत्ता उनका आर्थिक सहारा बना।

   मजदूरी में 1500 रूपये प्रति मानक बोरा में वृद्धि से महासमुंद ज़िले में तेंदूपत्ता संग्राहकों द्वारा इस वर्ष 74871 मानक बोरा का संग्रहण किया गया। जो पिछले वर्ष के मुक़ाबले अधिक है। पिछले वर्ष कोरोना की पहली लहर में सुरक्षित तरीक़े से 51857 मानक बोरा का संग्रहण किया गया था। इस वर्ष जिले के 101401 संग्राहक मुखियाओं को 39.95 करोड़ राशि का भुगतान किया गया, जिससे बाजार में उछाल देखने को मिल रहा है। अतिरिक्त कमाई से किसान परिवार इन दिनों खरीदी मे व्यस्त हैं।    

   तेंदूपत्ता, जिसे हरा सोना के नाम से भी पुकारा जाता है। प्रतिवर्ष इसका इंतजार आदिवासी अंचल के ग्रामीणों को रहता है क्योंकि तेंदूपत्ते से अच्छी आमदनी हो पाती है, जिससे परिवार की जरूरी आवश्यकता की पूर्ति करने में काफी मदद मिल जाती है। इस कोरोना संकट के समय यह और भी मददगार साबित हुआ है। तेन्दूपत्ता की खरीद कोरोना संक्रमण के समय में एक मुश्किल भरा कदम जरूर था, लेकिन कोरोना का कवच बने नियमों की अक्षरश पालन ने इसे और भी अधिक आसान कर दिया था।

पूरे छत्तीसगढ़ समेत महासमुंद जिले में भी तेंदूपत्ता संग्रहण यहाँ के वनवासियों के लिए एक अति महत्वपूर्ण कार्य है। प्रदेश के जनजाति बाहुल जिलों में आदिवासियों को राहत पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक में वृद्धि करते हुए 2500 रूपये से बढ़ाकर 4000 रूपये प्रति मानक बोरा किया गया है। प्रति मानक बोरा 1500 रूपये अधिक मिलने से इन आदिवासी अंचल के वनवासियों की जिन्दगी आसान हो गयी तेंदूपत्ता संग्रहण राज्य के वनवासियों के लिए एक अति महत्वपूर्ण कार्य है।

   केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा इसके संग्रहण, परिवहन एवं भंडारण के कार्य को कोविड -19 के महामारी के समय भी प्रतिबंधित नहीं किया है। केवल कोविड गाइड लाइन का पालन करते हुए कार्य किया गया। कोरोना संकट की इस कठिन घड़ी में तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य आदिवासी-वनवासी सहित तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों के लिए महत्वपूर्ण सहारा बना। चालू वर्ष के दौरान तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह से शुरू हुआ है था।
जिले में तेन्दूपत्ता खरीदी के तहत आदिवासियों द्वारा जंगलों में जाकर तेन्दूपत्ता तो इकट्ठा कर लिया था। लेकिन कोरोना का संक्रमण काल इन संग्राहकों के माथे पर चिन्ता की लकीरें खींचता नजर आ रहा था। लेकिन प्रशासनिक सूझ-बूझ के साथ राज्य सरकार की एडवाइजरी ने इस मुश्किल को आसान किया। वन विभाग से जुडे अधिकारी-कर्मचारियों की सार्थक पहल के चलते खरीद केन्द्रों पर कोरोना संक्रमण को रोकने के उपायों को प्रमुखता से लागू कर पालन करवाया गया। महासमुंद ज़िले में माह अप्रैल के अंत शुरुआत से ज़िले की 75 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के 69 लाटों में तेंदूपत्ता संग्रहण का काम शुरू हुआ। इस वर्ष 2021 में 74871.285 मानक बोरा का संग्रहण किया गया। लक्ष्य 94500 मानक बोरा का था। इसमें 101401 तेंदूपत्ता संग्राहक जुड़े। इन्हें 39,94,85,140 रुपए संग्रहण पारिश्रमिक का भुगतान मिला।

वही वनधन योजना के तहत चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में 16 प्राथमिक समितियों ने 133 संग्राहकों से विभिन्न प्रकार के बहेड़ा साबुत, चिरोजी गुठली, हर्रा, धवई फूल, इमली और बहेड़ा कचरिया 635.570 किविंटल लघु वनोपज की ख़रीदी की गयी थी। जिनके एवज़ में 18,59,724 का भुगतान किया गया । मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने तेंदूपत्ता संग्रहण सीजन 2018 के 84516 तेंदूपत्ता संग्रहण को प्रोत्साहन पारिश्रमिक राशि का आन लाइन भुगतान किया। माह अगस्त 2020 में दी गयी यह राशि 21,32,43,519 थी जो सीधे सम्बंधित के बैंक खाते में गयी।

जिले में तेन्दूपत्ता खरीदी के तहत आदिवासियों द्वारा जंगलों में जाकर तेन्दूपत्ता तो इकट्ठा कर ली गई लेकिन कोरोना का संक्रमण काल इन संग्राहकों के माथे पर चिन्ता की लकीरें खींचता नजर आ रहा था। इसी बीच राज्य सरकार द्वारा संग्राहकों को चिन्ता से मुक्त करने के लिए निर्धारित पारिश्रमिक दर पर तेन्दूपत्ता खरीद के लिए खरीद केन्द्रों की स्थापना की गई। इन खरीद केन्द्रों पर कोरोना संक्रमण बेहद चिन्तनीय विषय था, लेकिन प्रशासनिक सूझ-बूझ के साथ राज्य सरकार की एडवाइजरी ने इस मुश्किल को आसान किया। वन विभाग से जुडे अधिकारी-कर्मचारियों की सार्थक पहल के चलते खरीद केन्द्रों पर कोरोना संक्रमण को रोकने के उपायों को प्रमुखता से लागू कर पालन करवाई गई।
 

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