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महासमुंद : तंबाकू छोड़ने के लिए उपयुक्त समय है लॉक डाउन और क्वारंटीन की अवधि

क्वांरटीन तंबाकू मुक्ति अभियान- डब्ल्यूएचओ और एनटीसीपी के अनुसार जिला तंबाकू नशा-मुक्ति केन्द्र ने जारी की एडवाइजरी

नशा छोड़ने के बीस मिनट के अंदर ही हृदय की धड़कन और रक्तचाप सामान्य होने लगता हैं
दो घंटे बाद शरीर में मौजूद कार्बन मोनो-ऑक्साइड का स्तर घटने लगता है
बारह हफ्तों के अंदर फेफड़ों की कार्य क्षमता में सुधार महसूस होता है
तीन महीने के नियमित अभ्यास से तंबाकू का नशा छूट सकता है
विड्रोल सिमटम्स में सौंफ, लौंग, इलाइयची, अजवाइन, च्यूइंगम और पैचेस मददगार होते हैं

महामारी अधिनियम 1897 लागू होने से तंबाकू उत्पादों की बिक्री प्रतिबंधित है। इस दौरान तंबाकू या सिगरेट आदि के न मिलने से ही कई लोगों की तलब अपने आप कम हो रही है। यदि आप चाह कर भी नशे से पीछा नहीं छुड़ा पा रहे हैं, तो जिला तंबाकू नशा-मुक्ति केन्द्र से मुफ्त दवा लेकर इससे छुटकारा पा सकते हैं

महासमुंद 07 जून : देशव्यापी लाॅकडाउन के दौर में स्वयं और अपने परिवार का स्वास्थ्य ही सर्वोच्च प्राथमिकता है, तो नशे की लत को भी स्वयं पर क्यों हावी होने दिया जाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के तंबाकू और निकोटिन से दूषित हाथ-मुंह और कमजोर पड़ रहे फेफड़े, कोरोना वायरस केे संक्रमण का दायरा बढ़ा सकते हैं। ऐसे में जिला तंबाकू नशा-मुक्ति केंद्र दल ने आमजन से अपील करते हुए तंबाकू के आदी लोगों को कोविड-19 के खतरे के प्रति विशेष तौर पर आगाह किया है। उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष लगभग एक हजार से अधिक लोगों ने राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत संचालित जिला तंबाकू नशा-मुक्ति केंद्र में परामर्श लिया और नागरिकों को नशा उन्मूलन की दिशा में आगे आए। इस समय कोरोना वायरस के संक्रामक दौर में लोगों ने कुछ ही माह में ही नशा छोड़ने का अभ्यास किया और अब उनके द्वारा किसी भी तरह का नशा का सेवन नहीं किया जा रहा है। नशा-मुक्ति परामर्शदाता की राय में तंबाकू छोड़ने के लिए लॉक डाउन और क्वारंटीन का समय सर्वोत्तम है। उन्होंने बताया कि अगर तीन महीने तक कोई धूम्रपान या तंबाकू आदि से दूर रह ले, तो फिर वापस से इनकी लत लगने की संभावना एक चैथाई प्रतिशत से भी कम रह जाती है। इस अवधि में जिला तंबाकू नशा-मुक्ति केन्द्र से परामर्श कर अपनी सबसे बुरी आदत से पीछा छुड़ा सकते हैं। नशा मुक्ति केन्द्र के सामाजिक कार्यकर्ता श्री असीम श्रीवास्तव ने महासमुंद विकासखण्ड के तुमगांव, नवागांव, चिरको एवं बनपचरी में क्वारंटीन केन्द्र पर रह रहे लोगों को फिजिकल डिस्टिेंसिंग में सवाल-जवाब कर विड्रोल सिमटम्स से उबरने के मनोवैज्ञानिक तरीके बताया।

केस वनः- मैं बीड़ी पीता हूं तो क्या मुझे कोरोना पकड़ सकता है...

उत्तर- सिगरेट और बीड़ी जैसे धूम्र उत्पाद सीधे तौर पर कोरोना का संक्रमण नहीं फैलाते, लेकिन ये फेफडे के कैंसर का प्रमुख कारण होने के साथ-साथ उनमें कार्बन मोनो-ऑक्साइड की मात्रा बढ़ा देते है, इससे फेफड़े कमजोर हो जाते हैं, जिससे कोरोना वायरस के संक्रमण से उबरने की क्षमता कम हो जाती है।

केस टूः- बीड़ी तो नहीं पीता लेकिन, गुटखा और गुड़ाखू की लत कैसे छोड़ूं...

उत्तरः- यह आपके साथ-साथ दूसरों के लिए भी घातक है। प्रायः मुंह का कैंसर तंबाकू चबाने से ही होता है। यह हाथ-मुंह से छूने एवं थूकने से कोरोना संक्रमण के खतरे को भी बढ़ता है। क्योंकि, आप अभी क्वारंटीन में हैं, तो हल्का व्यायाम, योग, अधिक मात्रा में पानी, नमकीन एवं मिर्च आदि का उपयोग कर नियंत्रण बना सकते हैं।

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