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 मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना का लाभ ले
जशपुर : कलेक्टर ने कहा कि 0-14 वर्ष की उम्र के मूकवधिर बच्चों के इलाज के लिए मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना संचालित है। इस योजना के तहत् मूकवधिर बच्चों के कान का आपरेशन कर काॅक्लियर इम्प्लांट किया जाता है। जिस पर औसतन 6 से 10 लाख रुपए का खर्च आता है, जो सरकार वहन करती है। उन्होंने बताया कि बच्चे की उम्र 5 साल से कम होने पर काॅक्लियर इम्प्लांट कराया जाना ज्यादा लाभदायक होता है।

जिला चिकित्सालय जशपुर में पदस्थ ईएनटी विशेषज्ञ एवं इस पखवाड़े के नोडल अधिकारी डाॅ. आर.एन. केरकेट्टा ने बताया कि गूंगापन कभी भी जन्मजात नहीं होता है। बहरापन की वजह से बच्चा जब कुछ सुनता नहीं है, तो वह बोल भी नहीं पाता है, जो बाद में गूंगेपन से ग्रसित हो जाता है। उन्होंने बताया कि जब कोई भी बच्चा दो़ साल या उससे अधिक की उम्र होने पर बोलना शुरू नहीं करता है, तो उसे तुरंत चिकित्सक को दिखाना चाहिए। बच्चे के न बोल पाने की समस्या का प्रमुख कारण उसका बहरापन ही होता है, जिसे उचित इलाज या काॅक्लियर इम्प्लांट करके ठीक किया जा सकता है।

अभियान का उद्देश्य

डाॅ. केरकेट्टा ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य प्रारंभिक अवस्था में ही बहरेपन का निदान और उपचार की सेवा का पुनः स्थापना कर सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना है।

कर्ण रोग के लक्षण

जन्मजात ऐसे बच्चे जो आवाज की तरफ अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाते हो अथवा ऐसे बच्चें जिनकी उम्र 2 साल या उससे अधिक हो और वह कुछ बोल नहीं पा रहा हो और न ही कुछ सुन पा रहा हो। ऐसा बच्चा जो कक्षा में शिक्षक की बात पर ध्यान नही दे रहा हो। ऐसे वृद्ध व्यक्ति जिनमें चिड़चिड़ापन आ गया हो/ इसके अलावा कान मे दर्द, कान से मवाद/पानी बहना भी कर्ण रोग के लक्षण है।

कान की बीमारी से बचने के उपाय

गंदे प्रदूषित पानी में नहाने से बचे। कान में कुछ भी कड़ी चीज डालकर खुद ही सफाई न करें, नही तो कान के पर्दे को नुकसान पहुँचने का अंदेशा रहता है। पालको, अभिभावको, माता-पिता एवं प्रशिक्षकों को कभी भी बच्चे को कान के ऊपर थप्पड़ नही मारना चाहिए। इससे भी कान के पर्दे को क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता हैै।

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