महासमुंद : पशुओं को लू लगने से बचाएं
महासमुंद 15 मई : पशु चिकित्सा सेवाएं के उपसंचालक डाॅ. डी.डी. झारिया ने भीषण गर्मी को देखते हुए पशुओं के बचाव और उनकी देखभाल के लिए पशुपालक कृषकों को समसामयिक सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि इस समय सूरज की तेज गर्मी के कारण गर्म हवाएं चल रही है। तापक्रम लगभग 40 डिग्री सेंटीग्रेड के आस-पास है। ऐसे में पशुओं को लू लगने एवं उनके बीमार होने की संभावना बनी रहती है। पशुओं को आहार लेने में अरूचि, तेज बुखार, हाॅफना, नाक से स्राव बहना, आंखों से आंसू गिरना एवं आंखों का लाल होना, पतला दस्त होना और शरीर में पानी की अत्यधिक कमी होने से लड़खड़ाकर गिरना आदि लू लगने के प्रमुख लक्षण हैं।
उन्होंने बताया कि पशुओं के बीमार होने के पहले बचाव के उपाय करना लाभकारी होता है। पशुपालक पशुओं के स्वास्थ्य के प्रति बहुत अधिक सावधानी बरतें। पशुओं को सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक कोठे में रखंे। कोठे को खुला न रखकर टाट आदि से ढंक कर रखा जाएं। गर्म हवाओं के थपेड़ों से बचाने के लिए टाट में पानी छिड़क कर वातावरण को ठंडा बनाए रखंे। पशुओं को पर्याप्त मात्रा में पोषण आहार तथा पीने के लिए हमेशा ठण्डा और स्वच्छ पानी दें। पशु को ठोस आहार ना देकर तरल युक्त नरम आहार खिलावंे। विवाह व अन्य आयोजनों के बचे हुए बासी भोज्य पदार्थ पशुओं को नहीं खिलाएं। कोठे की नियमित रूप से साफ-सफाई करें। नवजात बछड़ों-बछियों की विशेष देखभाल करें। संकर नस्ल तथा भैंसवंशी पशुओं को पानी की उपलब्धता के आधार पर कम से कम दिन में एक बार अवश्य नहलाना, धुलाना चाहिए। यदि पशु असामान्य दिखे तो तुरंत निकट के पशु चिकित्सा संस्थान के अधिकारी-कर्मचारी को सूचित कर तत्काल उपचार कराया जाना चाहिए।
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