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 महासमुंद : पशुओं में सघन टीकाकरण कार्यक्रम 10 मई 2020 से प्रारंभ

जिले के गौठान ग्रामों में शत्-प्रतिशत पशुओं में टीकाकरण करने का लक्ष्य
जिले में दो लाख 46 हजार पशुओं को गलघोंटू एवं एक लाख 31 हजार पशुओं एकटंगिया टीकाकरण किया जाएगा

महासमुंद 15 मई : बरसात के समय में अक्सर होने वाले गलघोंटू एवं एकटंगिया भूजन्य संक्रामक रोग से पशुओं को बचाने के लिए जिले में सघन टीकाकरण कार्यक्रम 10 मई 2020 से प्रारंभ किया गया है जो आगामी 15 जून 2020 तक चलेगा। जिसमें 75 प्रतिशत पशुओं में टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया है वहीं शासन की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना गरूवा कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के गौठान ग्रामों में शतप्रतिशत पशुओं में टीकाकरण किया जाएगा।

 पशु चिकित्सा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार विकासखण्ड महासमुंद में 69 हजार 185 पशुधन गलघोटू टीकाकरण के लिए लक्षित है वहीं एकटंगिया टीकाकरण के लिए 36 हजार 932 पशुओं का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस कार्य के लिए 39 अमलांे को जिम्मेदारी दी गई है। इसी प्रकार विकासखण्ड बागबाहरा में गलघोंटू टीकाकरण के लिए 61 हजार 431 पशुधन वहीं एकटंगिया टीकाकरण के लिए 32 हजार 718 पशु लक्षित है एवं 23 अमलों को जिम्मेदारी दी गई है। इसी प्रकार विकासखण्ड पिथौरा में गलघोंटू टीकाकरण के लिए 51 हजार 122 एवं एकटंगिया टीकाकरण के लिए 27 हजार 187 पशुओं का टीकाकरण लक्ष्य निर्धारित करते हुए 34 मैदानी अमलों को तैनात किया गया है। बसना विकासखण्ड में गलघोंटू टीकाकरण 28 हजार 626 एवं एकटंगिया टीकाकरण हेतु 15 हजार 270 पशु लक्षित है। इस कार्य को 27 अमलें को पूर्ण करेंगे।

इसी प्रकार सराईपाली विकासखण्ड में गलघोंटू टीकाकरण 35 हजार 636 एवं एकटंगिया टीकाकरण 18 हजार 893 पशुओं का लक्ष्य निर्धारित है। यहां 24 अमलांे को तैनात किया गया है। जिले में 226 गौठान ग्राम है जहाॅ शत्-प्रतिशत पशुओं में टीकाकरण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस प्रकार दो लाख 46 हजार पशुओं को गलघोंटू एवं एक लाख 31 हजार एकटंगिया टीकाकरण किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि गलघोंटू बीमारी में तेज बुखार, गले में सूजन, नाक से स्त्राव, फिर 24 घंटे के भीतर दम घुटने से 70 प्रतिशत पशुओं की मृत्यु हो जाती है। जिसमें वयस्क एवं भैसवंशीय पशु अधिक प्रभावित होते हंै। इसी प्रकार एकटंगिया रोग से चार साल तक के उम्र के बछड़े बछिया पाड़े पड़िया अधिक प्रभावित होते हैं। जिससे 70 प्रतिशत पशुओं की मृत्यु हो जाती है। इस रोग में तेज बुखार, किसी भी एक पैर या कूल्हे के आसपास सूजन दबाने पर चुर्र-चुर्र की आवाज आती है। 24 घंटे के भीतर मृत्यु हो जाती है। छोटे उम्र के पशु ज्यादा प्रभावित होते है। ये छूतदार संक्रामक बीमारी है। इसके प्रकोप होने से कृषकों का काफी आर्थिक क्षति पहंुचती है। कृषकों को इस क्षति से बचाने के लिए जिले में सघन टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। कृषक बंधुओं से इस कार्यक्रम में सहयोग करने की अपील की गई है।

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