दुर्ग जिले के 216 गौठानों में तैयार 786 नाडेप टैंकों में बन रही कम्पोस्ट खाद
दुर्ग 15 मई 2020/परंपरा को अगर विज्ञान का साथ मिल जाए तो सोने पे सुहागा ही समझिए। हमारे छत्तीसगढ़ में घुरूवा के माध्यम जैविक खाद तैयार करने की परंपरा रही है। अब इसी पारंपरिक घुरूवा को हम वैज्ञानिक विधि से उन्नत कर रहे हैं उन्नयन के बाद 30 से 40 दिनों में बढ़िया कम्पोस्ट खाद तैयार हो जाती है। हमारे गौठानों में कम्पोस्ट खाद के लिए नाडेप टैंक, वर्मी कम्पोस्ट टैंक तैयार किए जा रहे हैं। जिले के 216 गौठानों में 786 नाडेप टैंकों में भी कम्पोस्ट खाद बनाई जा रही है। इस कार्य में महिला स्व-सहायता समूहों को जोड़कर उन्हें आय अर्जित करने के अवसर भी मिलने लगे हैं। अब तो खाद तैयार भी हो गई और महिलाओं ने बिक्री भी शुरू कर दी। पिछले दिनों ढ़ौर की महिलाओं ने उद्यानिकी विभाग को 1 टन कम्पोस्ट खाद बेचकर 10 हजार रुपए अर्जित किए।
इसके अलावा कृषकों के खेत, बाड़ी व उपयुक्त स्थलों पर नाडेप, भू-नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट व बायोगैस प्लांट का निर्माण कृषक स्वयं के द्वारा मनरेगा और अन्य विभागीय योजनाओं के माध्यम से कर रहे हैं। कृषि विभाग के प्राप्त जानकारी के मुताबिक वर्तमान में किसानों के घुरूवा उन्नयन का कार्यक्रम वृहत पैमाने पर लिया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में घुरूवा उन्नयन हेतु 7980 का लक्ष्य मिला था जिसकी शत-प्रतिशत पूर्ति की गई है। इसी प्रकार चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में 14716 लक्ष्य के विरूद्ध अद्यतन 1035 की पूर्ति कर दी गई एवं शेष लक्ष्य की पूर्ति हेतु कार्य जारी है। जिसका उपयोग किसान भाई अपने खेतों और बाड़ियों में कर रहे हैं। जैविक खाद के उत्पादन को लगातार प्रोत्साहित करने उन्नत घुरूवा का निर्माण किया जा रहा है।
जैविक खाद की बढ़ने लगी है मांग- राज्य सरकार द्वारा जैविक खेती को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है।
गौठानों में बनी खाद का उपयोग खेतों और बाड़ियों में किया जा रहा है। मांग भी बढ़ रही है। हमारी परम्पराओं को सहेजने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सबल करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने नरवा गरूवा घुरूवा बाड़ी योजना शुरू की जिससे आज हम सुराजी गांव की अवधारणा को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। घुरूवा इस योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
कैसे होता है पारंपरिक घुरूवा से उन्नत घुरूवा का निर्माण-
वैज्ञानिक विधि में वेस्ट डी-कम्पोजर के उपयोग से घुरूवा का उन्नयन किया जाता है कम्पोस्ट खाद जो जैविक पदार्थों के अपघटन एवं पुनःचक्रण से प्राप्त की जाती है। यह जैविक खेती का मुख्य घटक है। कम्पोस्ट बनाने का सबसे सरल तरीका है। जैव पदार्थों (जैसे पत्तियाँ, बचा-खुचा खाना आदि) के विघटन हो जाने तक प्रतीक्षा करना ताकि ह्यूमस में बदल जाता है। घुरूवा उन्नयन में वेस्ट डी-कंपोजर का उपयोग करके गोबर तथा अन्य पशु अपशिष्ट, कचरे का विघटन के माध्यम से जैविक खाद के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। कचरा अपघटक को तकनीक की सहायता से खाद बनाने पर किसी भी मानक संरचना और आवश्यक पैरा मीटर के साथ उच्च गुणवत्ता वाली कम्पोस्ट का उत्पादन हो सकता है। वेस्ट डी-कम्पोजर के उपयोग से 30-40 दिवस के भीतर जैविक खाद उत्पाद तैयार किया जा सकता है।
वेस्ट डी-कम्पोजर क्या है-
एक प्रकार कार्बनिक पढ़ार्थ के अपघटक के सूक्ष्म जीव है जो जैविक खाद बनाने मे मदद करती है इसके उपयोग से बहुत कम समय मे जमीन की उर्वरक शक्ति को बढ़ाती हैं, वेस्ट डी-कम्पोजर देसी गाय के गोबर से निकला गया सूक्ष्म जीवों का संघ है जिसमे सभी प्रकार के कार्बनिक पदार्थो के अपघटक सूक्ष्म जीव सम्मिलित होते है. इसकी 30 ग्राम की बोतल होती है व कीमत 20/- रु. प्रति बोतल है। एक प्रकार कार्बनिक पढ़ार्थ के अपघटक के सूक्ष्म जीव है जो जैविक खाद बनाने मे मदद करती है इसके उपयोग से बहुत कम समय मे जमीन की उर्वरक शक्ति को बढ़ाती हैं।
डी-कंपोजर के इस्तेमाल के फायदे -
आज के दौर में सरकार के प्रयासों ,किसानों की जागरूकता से जैविक कृषि का क्षेत्रफल बढा है। रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूकता बढ़ी है। मगर जैविक खाद निर्माण में छोटी सी दिक्कत ये है कि इसमें जीवांश्मो को सड़ाने गलाने में समस्याए होती है। इसके लिए डी-कंपोजर का उपयोग बहुत कारगर साबित हुआ है। डी-कंपोजर 40 दिनों में कृषि अपशिष्ट, पशु अपशिष्ट, रसोई अपशिष्ट, शहर के अपशिष्ट जैसे सभी जैव अपघटन योग्य सामग्री को अपघटित कर अच्छी खाद का निर्माण कर देता है। परम्परागत विधियों से तुलना करें तो यह खाद बनाने की अब तक की सबसे तीव्र विधि है । जिससे जैविक खेती का रकबा बढ़ाने के कार्य को अधिक गति मिल सकती है। अपशिष्ट डी-कंम्पोजर को पर्णीय छिडकाव के रूप में भी उपयोग लिया जा सकता है जो विभिन्न फसलों में विभिन्न प्रकार की जीवाणु, फफूंद और विषाणु जनित बीमारियों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करता है, किसान रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग किए बिना वेस्ट डी-कंपोजर के उपयोग से जैविक खेती कर सकते हैं। जल धारण क्षमता भी विकसित होती है।इस तहर खाद उत्पादन भी बढ़ेगा ग्रामीणों की आमदनी भी बढ़ेगी.
किसान कम्पोस्ट खाद बनाने डी-कम्पोजर घोल कैसे बनाएं
- ड्रम या टंकी मे 200 ली. पानी लेकर उसमे 2 किलो गुड डालकर अच्छे से मिलाएँ वेस्ट डी कंपोजर 200 ग्राम का एक डिब्बा पूरा इस ड्रम या टंकी मे डाल दे और अच्छे से मिलाएँ, (ध्यान रखे की इस दवा को सीधे हाथ के संपर्क मे न आए) लकड़ी के सहायता से मिलाएँ, अब इसे अच्छी तरह से लकड़ी से मिलाएँ और ड्रम या टंकी को पेपर की सहायता से ढँककर छोड़ दें, 7 दिवस के भीतर घोल तैयार हो जाएगा। अब इस घोल का छिड़काव कर 30-40 दिवस के भीतर कम्पोस्ट खाद उत्पादन किया जा सकता है।
Leave A Comment