शिवनाथ नदी में बाढ़ आपदा से निपटने मॉकड्रिल का आयोजन, कलेक्टर रणबीर शर्मा ने लिया तैयारियों का जायजा
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
शिवनाथ नदी में बाढ़ आपदा की मॉकड्रिल, टापू में फंसे लोगों का जीवंत रेस्क्यू, मॉकड्रिल में दिखा बाढ़ आपदा से निपटने का दम
बेमेतरा : संभावित बाढ़ आपदा से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए जिला प्रशासन द्वारा आज सुबह 8 बजे ग्राम अमोरा (जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर) स्थित शिवनाथ नदी तट पर व्यापक स्तर पर मॉकड्रिल का आयोजन किया गया। इस मौके पर कलेक्टर श्री रणबीर शर्मा स्वयं उपस्थित रहकर संपूर्ण रेस्क्यू प्रक्रिया का अवलोकन किया और सभी तैयारियों की समीक्षा की। इस मॉकड्रिल का उद्देश्य आपदा के समय त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना, आमजन को जागरूक करना और प्रशासनिक समन्वय का परीक्षण करना था। इस दौरान पुलिस अधीक्षक श्री रामकृष्ण साहू, जिला पंचायत सीईओ श्री टेकचंद अग्रवाल, अपर कलेक्टर प्रकाश भारद्वाज, एडीएम श्री अनिल बाजपेयी, संयुक्त कलेक्टर श्रीमती दीप्ती वर्मा, एसडीएम श्रीमती दिव्या पोटाई, श्रीमती पिंकी मनहर, जनसंपर्क विभाग, स्वास्थ्य, राजस्व एवं अन्य विभागों सहित पुलिस प्रशासन के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।
रेस्क्यू ऑपरेशन का जीवंत प्रदर्शन
मॉकड्रिल के तहत बाढ़ आपदा की स्थिति का यथार्थ सिमुलेशन करते हुए एसडीआरएफ टीम ने पहले से निर्धारित योजना के अनुसार कुछ लोगों को नदी के उस पार स्थित टापू में रखा। इसके पश्चात टीम द्वारा यह प्रदर्शित किया गया कि आपातकालीन परिस्थिति में टापू में फंसे लोगों को किस प्रकार सुरक्षित निकाला जा सकता है। रेस्क्यू दल ने मोटरबोट, लाइफ जैकेट एवं अन्य बचाव उपकरणों की सहायता से टापू में फंसे लोगों को एक-एक कर मुख्य तट पर सुरक्षित रूप से वापस लाया। इस प्रक्रिया में टीम की सतर्कता, समन्वय और दक्षता स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुई, जिससे यह संदेश गया कि वास्तविक बाढ़ आपदा की स्थिति में भी जिले की तैयारियां पूरी तरह से सक्षम हैं।
इसके पश्चात मॉकड्रिल में एक परिदृश्य दिखाया गया, जिसमें कुछ लोग बेहोश हो गए थे। रेस्क्यू टीम ने उन्हें स्ट्रेचर पर लेटाकर प्राथमिक चिकित्सा के लिए तत्परता से निकटतम एम्बुलेंस तक पहुंचाया। इस दौरान यह भी प्रदर्शित किया गया कि किसी व्यक्ति की सांसें बंद हो जाएं या वह बेहोश हो जाए, तो उसे किस तरह से सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) देकर उसकी जान बचाई जा सकती है।
सीपीआर का लाइव डेमो, अधिकारियों ने लिया व्यावहारिक अनुभव
मौके पर मौजूद एसडीआरएफ की टीम ने सीपीआर की तकनीक का लाइव डेमो देकर दिखाया कि आपात स्थिति में यह तकनीक कितनी उपयोगी हो सकती है। इस डेमो में प्रशासनिक अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया और स्वयं सीपीआर करके देखा कि संकट के समय कैसे एक आम व्यक्ति भी किसी की जान बचा सकता है। मॉकड्रिल के दौरान यह भी बताया गया कि बाढ़ के समय घर में उपलब्ध वस्तुएं जैसे गोल बर्तन, ड्रम, मटका, प्लास्टिक की बोतलें, ट्यूब इत्यादि का उपयोग करके अस्थायी राफ्ट या फ्लोटेशन डिवाइस बनाए जा सकते हैं। पानी की एक लीटर बोतल को एयरटाइट कर लाइफ जैकेट के रूप में उपयोग करने का तरीका भी दिखाया गया।
मॉक ड्रिल के दौरान, एसडीआरएफ के प्रशिक्षित अधिकारियों ने आपदा प्रबंधन के महत्व और त्वरित प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि आपदाओं के समय सही निर्णय लेना और प्राथमिकता के आधार पर कार्य करना जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस ड्रिल में बाढ़ मे फंसे लोगों को निकालने, घायलों को प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराने, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बचाव कार्यों की रणनीतियों को प्रभावी ढंग से प्रदर्शित किया गया।
मॉक ड्रिल मे दिखाया उपकरणों का प्रदर्शन
बचाव कार्यों के लिए आवश्यक संसाधनों जैसे मोटरबोट, स्क्यूबा डाइविंग किट, अंडरवाटर कैमरा, लाइफ बॉय, चौन-सा, आस्का लाइट, सर्च लाइट और पेलिकन लाइट आदि का भी विस्तृत प्रदर्शन किया गया, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि जिले के पास किसी भी आपदा से निपटने हेतु पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं।
कलेक्टर श्री रणबीर शर्मा ने मॉकड्रिल की सराहना करते हुए कहा कि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं अचानक आती हैं और इनसे निपटने के लिए प्रशासनिक सतर्कता, संसाधनों की तत्परता और जनभागीदारी अत्यंत आवश्यक होती है। इस प्रकार की मॉकड्रिल न केवल प्रशासन को आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार करती हैं, बल्कि आम नागरिकों को भी सजग, जागरूक और आत्मनिर्भर बनाती हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी आपदा की घड़ी में हर पल कीमती होता है, और यदि सभी विभाग जैसे पुलिस, स्वास्थ्य, राजस्व, आपदा प्रबंधन, नगर सेना सभी संबंधित विभाग समन्वित रूप से कार्य करें, तो जान-माल की क्षति को न्यूनतम किया जा सकता है। कलेक्टर ने यह भी कहा कि ग्रामीणों को बाढ़ जैसी परिस्थितियों में घबराने की बजाय शांत और विवेकपूर्ण ढंग से कार्य करना चाहिए, जिससे रेस्क्यू टीम को सहयोग मिल सके और राहत कार्यों में तेजी लाई जा सके।
कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी बाढ़ संभावित क्षेत्रों में संसाधनों की पहले से मैपिंग कर ली जाए, राहत शिविरों की स्थिति मजबूत की जाए और जरूरतमंद लोगों तक समय पर सहायता पहुंचाने की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। कलेक्टर ने स्पष्ट रूप से कहा कि बाढ़ आपदा से बचाव सिर्फ एक प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामूहिक दायित्व है, जिसमें आमजन की सहभागिता सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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