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कोरिया :  सफलता की कहानी : कोरोनाकाल मे भी दिव्यांग शिक्षक मनोज ने नहीं छोड़ी कर्तव्य की राह‘
गाड़ी में बोर्ड और शैक्षणिक सामग्री लेकर कर रहे मोहल्ला क्लास

कोरिया : कहते हैं कि ‘सच्ची इच्छाशक्ति हो तो कोई डगर कठिन नहीं होती।‘ इसका जीता-जागता उदाहरण हैं कोरिया जिले के विकासखंड खड़गवाँ के संकुल बरदर के अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला शिवपुर के सहायक शिक्षक श्री मनोज कुमार। मनोज दिव्यांग हैं, पर शिक्षा का अपना कर्तव्य निभाने और सच्ची इच्छाशक्ति से मनोज आज सफलतापूर्वक मोहल्ला क्लास का संचालन कर रहे हैं।

राज्य शासन के द्वारा इस कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई निर्बाध जारी रखने के लिए ऑनलाइन क्लास पढ़ई तुंहर दुआर की शुरूआत की गई हैं। पर सुदूर क्षेत्रों में जहां नेटवर्क की समस्या है, वहां मोहल्ला क्लास संचालित की जा रही हैं।

शिक्षक मनोज भी ग्राम झुमरिया पारा, पटेल पारा, घुटरा पारा के बच्चों को घूम घूम कर मोहल्ला क्लास लेते हुए पढ़ा रहे हैं। मनोज बताते हैं कि इस नवाचारी कार्य में उनके प्रधान पाठक श्री लक्ष्मण तनेन्द्र सिंह का भी मार्गदर्शन समय समय पर मिलता रहता है। कोरोना महामारी के संकट में बच्चों के मोहल्ले में घूम घूम कर मोहल्ला क्लास लिया जा रहा है । इसी  कड़ी में उनके सहयोगी के रुप में उनके शिक्षादूत श्री श्रवण सिंह का भी सराहनीय योगदान प्राप्त हो रहा है।

मनोज कुमार के पास अपनी गाड़ी है जिसमें वे बोर्ड और अन्य शैक्षणिक सामग्री लेकर निकलते हैं। मोहल्ला क्लास में बच्चों को कविता, कहानी के माध्यम से पाठ की विषय वस्तु को समझाया जाता है। साथ ही बच्चों को मौखिक प्रश्नों, मनगणित  के प्रश्नों पर तार्किक चर्चा किया जाता है। इबारती प्रश्नों को सरल रूप करके मौखिक चर्चा द्वारा समझाया जाता है । प्रतिदिन श्रुतिलेखन का कार्य कराते हुए उनमें व्याकरणिक त्रुटियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। गणित व पर्यावरण के अवधारणा को स्पष्ट करने के लिये परिवेश में उपलब्ध संसाधन का उपयोग किया जा रहा है।

मनोज कहते हैं कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए मोहल्ला क्लास के दौरान सोशल डिस्टेंस का पूरा ध्यान रखा जाता है। इसके साथ ही बच्चों को कोरोना से बचने के विभिन्न उपाय भी बताए गए है। मोहल्ला क्लास के अलावा मनोज कुमार ग्रामीणजनों से चर्चा करते हुए कोरोना महामारी से बचने के लिए मास्क कवर एवं सैनिटाइजर के उपयोग के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं। बच्चे भी सोशल डिस्टेंस का पालन करते है तथा मास्क लगाकर अध्ययन करते हैं।

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