- Home
- छत्तीसगढ़
-
बेमेतरा 27 मई : फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले टिड्डी दल (लोकस्ट स्वार्म) का प्रकोप राजस्थान होते हुए महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश राज्य तक पहुंच गया है। सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यह हमारे राज्य और जिले में भी प्रवेश कर सकते है। केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र के सहायक निर्देशक ने सीमावर्ती जिले के कृषि अधिकारीयों कर्मचारियों एवं किसानों को सचेत रहने कहा है। टिड्डी दल सायंकाल 6-9 बजे खेतों में झुड़ में रहते है, इनकी गति 80-150 किलोमीटर प्रतिदिन होती है। तदनुसार कृषकों, ग्रामीणों कृषि विस्तार अधिकारी के माध्यम से तत्काल जानकारी प्राप्त करके नियंत्रण हेतु कृषि विभाग द्वारा पूर्ण तैयारी कर ली गई है। इसके रोकथाम के लिए जिले के प्राइवेट डीलर्स के यहाँ प्रभावशील अनुसंशित दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
किसान डेजर्ट एरिया के लिए कीटनाषक मैलाथियोन, फेनवलरेट, क्विनालफोस तथा फसलों एवं अन्य वृक्षों के लिए क्लोरोपायरीफोस, डेल्टामेथ्रिन, डिफ्लूबेनजुरान, फिप्रोनिल, लेमडासाइहेलोथ्रिन कीटनाशक का प्रयोग कर सकते है।
टिड्डियां क्या है ?
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, टिड्डियों को उनके चमकीले पीले रंग और पिछले लंबे पैरो से उन्हे पहचाना जा सकता है। टिड्डी जब अकेली होती हैं तोे उतनी खतरनाक नही होती लेकिन झुंड में रहने पर इनका रवैया बेहद आक्रमक हो जाता है। टिड्डी दल करोड़ो की संख्या में होती है और फसलों को एकतरफा सफाया कर देती है। आपको दुर से ऐसा लगेगा, मानो आपकी फसलों के ऊपर किसी ने एक बड़ी-सी चादर बिछा दी हो।
टिड्डियां क्या खाती है ?
हैरत की बात यह है कि टिड्डिया खरीफ, रबी फसल एवं फलदार वृक्षों के फूल, फल, पत्ते, बीज, पेड़ की छाल और अंकुर सब कुछ खा जाती है। हर एक टिड्डी अपने वजन के बराबर खाना खाती है। इस तरह से एक टिड्डी दल, 2500 से 3000 लोगों का भोजन चट कर जाता है। टिड्डियों का जीवन काल लगभग 40 से 85 दिनों का होता है।
टिड्डी दल के नियंत्रण के लिए किए जा रहे उपायः-
कृषि विभाग के मैदानी अमलें टिड्डी दल की उपस्थिति को लेकर लगातार निगरानी कर रही है। रात के समय टिड्डियां जहां भी सेटल होती है उसकी खबर भारत सरकार की लोकस्ट टीम तक पहुंचाई जाती है। जिससे सुबह के समय टिड्डियों के उपर दवा का छिड़काव किया जा सकें।
टिड्डी दल से बचाव के उपायः-
वैज्ञानिकों के मुताबिक, किसान टिड्डी दल से बचने के लिए कई उपाय अपना सकते है
फसल के अलावा, टिड्डी किट जहा इक्कठा हो ,वह उसे फ्लेमथ्रोअर (आग के गोले) से जला दे ,टिड्डी दल आकाश में 500 फुट पर उड़ान भरता है ,कुछ टिड्डी नीचे भी उतरती है उसी समय भगाने के लिए थालियां ,ढोल ,नगाड़े ,लाउड स्पीकर या दूसरी चीजों के माध्यम से शोरगुल मचाएं जिससे फसलों को बचाया जा सकता है ,टीड्डों ने जिस स्थान पर अपने अंडे हों ,वह 25 कि.ग्रा., 5 प्रतिशत मेलाथियान या 1.5 प्रतिशत क्वीनालफॉक्स को मिला कर प्रति हेक्टेयर छिड़के ,टिड्डी दल को आगे बढ़ने से रोकने के लिए 100 कि.ग्रा. की धान की भूसी को 0.5 किलोग्राम फेनीट्रोथीयोन और 5 कि.ग्रा. गुड़ के साथ मिलाकर खेत में डाल दे,टिड्डी दल के खेत में बैठने पर 5 प्रतिशत मेलाथियान या 1.5 प्रतिशत क्वीनालफॉक्स का छिड़काव करे, कीट की रोकथाम के लिए 50 प्रतिशत ई.सी. फेनीट्रोथीयोन या मेलाथियान अथवा 20 प्रतिशत ई.सी. क्लोरपाइरिफोस 1 लीटर दवा को 800 से 1000 लीटर पानी में मिला कर प्रति हेक्टेयर के क्षेत्र में छिड़काव करें, टिड्डी दल सवेरे 10 बजे के बाद ही अपना डेरा बदलता है। इसलिए ,इसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए लिए 5 प्रतिशत मेलाथियोंन या 1.5 प्रतिशत क्वीनालफॉक्स घोलकर छिड़काव करें, 40 मिली लीटर नीम के तेल को कपड़े धोने के पाउडर के साथ या 20-40 मिली नीम से तैयार कीटनाशक को 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से टिड्डे फसलों को नहीं खा पाते। फसल कट जाने के बाद खेत की गहरी जुताई करे। इससें इनके अंडे नष्ट हो जाते है।सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है की जब तक कृषि विभाग का टिड्डी उन्मूलन विभाग ,टिड्डी दल प्रभावित स्थल पर पहुँचता है ,तब तक ये अपना ठिकाना बदल चुका होता है। ऐसे में किसान सावधान रहे की टिड्डी दल से संबंधित पर्याप्त जानकारी और उससे संबंधित रोकथाम के उपायों को मात्र अमल में लाना ही एक मात्र विकल्प है। -
बेमेतरा 27 मई : जिला पंचायत सीईओ श्रीमती रीता यादव द्वारा जिले में चल रहे महात्मा गांधी नरेगा कार्याें का सतत निरीक्षण किया जा रहा है। इसी क्रम में आज बुधवार को सुबह जनपद पंचायत साजा अंतर्गत ग्राम पंचायत बीजा एवं तेंदुवा नवापारा में डबरी निर्माण, महुआ में टार नाली एवं बरगा में तालाब निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान सीईओ द्वारा मनरेगा श्रमिकों से बातचीत की गई तथा उन्हे कोरोना संक्रमण के प्रति जागरूक करते हुए सामाजिक दूरी का पालन करने, मास्क, सेनेटाइजर एवं गमछा, रूमाल, साबुन का उपयोग करने को कहा गया एवं मनरेगा मजदूरी 190 रू. प्रति दिवस मजदूरी भुगतान के संबंध में अवगत कराया गया। इस दौरान उपस्थित अधिकारी एवं कर्मचारियों को मजदुरों के लिए कार्यस्थल पर आवष्यक सुविधायें छाया, पानी, साबुन, ओआरएस, मरहमपट्टी सेनेटाईजर, मास्क तथा साफ-सफाई की व्यवस्था करने हेतु निर्देशित किया गया। गोदी निर्माण में तकनीकी पहलुओं का विशेष ध्यान रखते हुए मेट/तकनीकी सहायक के निर्देशों का पालन करने हेतु श्रमिकों को निर्देशित किया गया। कार्यस्थल पर माप पंजी, निरीक्षण पंजी, आदेश फाईल सहित मस्टरोल रखनें एवं मजदुरों के कार्य पूर्ण होने पर तत्काल हाजिरी दर्ज कर क्रमवार सामाजिक दूरी का पालन करते हुए मजदूरों को कार्यस्थल छोड़ने हेतु नियम पालन करने निर्देश दिये।
जिले में वर्तमान में मनरेगा अंतर्गत कुल स्वीकृत कार्य 1049 में 98081 श्रमिक कार्यरत हैं। वर्तमान में लाॅकडाउन के दौरान जिले में लगातार मनरेगा अंतर्गत अधिक से अधिक कार्य स्वीकृत किया जा रहा है, जिससे श्रमिकों को रोजगार की कमी न हों एवं प्रवासी मजदूरों के लिये भी रोजगार उपलब्ध हो। इस अवसर पर जनपद पंचायत साजा सीईओ कुमारी कांति ध्रुव, पीओ मनरेगा रवि कराडे उपअभियंता एवं तकनीकी सहायक उपस्थित थे।नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी योजना अंतर्गत गौठानों का किया गया औचक निरीक्षण
जनपद पंचायत साजा अंतर्गत ग्राम पंचायत महीदही, बरगा, गडुवा में निर्माणाधीन गौठानों का औचक निरीक्षण करते हुए जनपद पंचायत सीईओ को महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से गौठानों में आजीविका गतिविधी करवाने के लिए उघानिकी एवं कृषि विभाग से समन्वय स्थापित कर कार्ययोजना बनानें हेतु निर्देषित किया गया। इस दौरान ग्राम पंचायत मौहाभाठा में निर्मित गौठान में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा लगाये गये मषरूम युनिट का निरीक्षण करते हुए तकनीकि पहलु के संबंध में चर्चा कर युनिट को 20 डिग्री तापमान रखने हेतु कहा गया। महिला स्व-सहायता समूह द्वारा गौठान में निर्मित उत्पादों का उचित मूल्य पर विक्रय हेतु निर्देशित किया गया। -
बेमेतरा 27 मई : बेमौसम बारिश व ओला वृष्टि से पहले ही किसान भाईयों की फसल चैपट हो चुकी है। अभी तक वे नुसकसान से ऊबर नहीं पाये हैं, अब एक नया खतरा टिड्डी दलों के रूप में सामने आ रहा है। राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश में टिड्डी दलों ने काफी नुकसान पहुॅचाया है। अतः कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख श्री जी.पी. आयम तथा डाॅ. एकता ताम्रकार कीट वैज्ञानिक के द्वारा मामले की गंभीरता को समझते हुए अलर्ट जारी किया गया है कि टिड्डी दलों के आक्रमण से सजग रहें। अपने खेत की सत्त निगरानी करें। यह देखा गया है कि टिड्डियाॅ रात्रि के समय झुण्ड में विचरण करती हैै तथा फसलों को नुकसान पहुॅचाती है। एक दल में इसकी संख्या लाखो में होती है। अतः किसान भाई रात्रि के समय एक बर्तन में पानी$मिट्टी तेल डालकर रखें और सुबह देखें अगर उसमें टिड्डियाॅ दिखाई दे रही है तो सुरक्षा हेतु उपाय अपनाने आवश्यक है।
टिड्डी दल के प्रकोप होने पर निम्नानुसार उपाय करें-किसान भाई समूह में परंपरागत उपाय जैसे ढोल, नगाड़े, टिपा, थाली आदि बनाकर शोर मचायें, आवाज सुनकर टिड्डे भाग जाते हैं। शाम के समय क्लोरपायरिफाॅस 20 ई.सी. 200 मिली. या लेम्डासाईहेलोथ्रिन 5 ई.सी. 400 मिली. या डाइफ्लूबेन्जूसन 25 डब्ल्यू पी. 240 ग्राम प्रति हेक्टे. 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। -
बेमेतरा 27 मई : छत्तीसगढ़ मंे बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से हमारी रबी फसले जैसे चना, गेंहॅू, तिवड़ा बुरी तरह से चैपट हो गई। अभी हमारे किसान भाई इस नुकसान से उबर भी नहीं पाये हैं कि, इसी बीच कोरोना वायरस कोविड-19 के नाम से नया खतरा उनके उपर मॅडराने लगा। कोविड-19 के लाकडाऊन के दौरान भी कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा ने किसान भाईयों का साथ नहीं छोड़ा। किसान मोबाईल संदेश व समाचार पत्रों के माध्यम से सतत संपर्क रखते हुए कोविड-19 के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में जागरूक किया तथा अलग-अलग फसलों के आधार पर कृषकों का विभिन्न वाट्सअप समूह बनाकर उनको लाकडाऊन में हो रही परेशानियों की जानकारी लेकर उनका समाधान किया गया। साथ ही विभिन्न माध्यमों से उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया गया। जैसे- चना, तिवड़ा बर्बाद हो जाने के पर मूंग फसल का प्रदर्शन आयोजित किया गया जिसमें लगभग 15 कृषक लाभान्वित हुए।
इसी तरह महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत् कृषि विज्ञान केन्द्र बेमेतरा द्वारा विभिन्न कार्यों जैसे- तालाब खनन, गोदी खनन, तालाब गहरीकरण, नाली निर्माण, मातृवाटिका, पौध नर्सरी आदि कार्याे के माध्यम से 127 कृषकों/भूमिहीन मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया गया। इसी तारतम्य में रोजगार उपलब्ध कराने के उद्वेश्य से ग्राम गौठान बिलई में महिला स्व-सहायता समूहों को केचुवा खाद, ट्राईकोडर्मा व सब्जी उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण उपरान्त 12 महिलाओं के समूह ने लगभग 5 क्विंटल केचुआ खाद बनाकर सब्जी उत्पादन किया जिससे उन्होने लगभग 9600/- रूपये का शुद्ध लाभ कमाया, अभी वर्तमान मंे समूह की महिलायें अपनी उगाई सब्जियों को कोरेन्टाईन में रोके गए प्रवासी मजदूरों के लिए दान कर रही है जो कि एक सराहनीय पहल है जो कि कोविड-19 से लड़ने में देश के प्रति उनका बहुमूल्य योगदान है। -
सूरजपुर 27 मई : शासन के प्रयासों से प्रवासी श्रमिकों को अपने घर सुरक्षित लाने के लिए स्पेषल ट्रेेेन चलाई जा रही है। जिला प्रशासन भी श्रमिकों को सुरक्षित तौर पर ठहरने के साथ जिले की सुरक्षा के मद्देनजर रखते हुए आये हुए श्रमिकों को निर्धारित अवधि 14 दिनों तक क्वारंटाईन सेंटर में रखा जा रहा है। जहाॅ श्रमिकों के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएॅ की गई हैं।
इसी क्रम में बीते दिवस केरल से आई स्पेशल ट्रेन में सूरजपुर जिले के 06 श्रमिक सरगुजा जिला पहुॅचे वहाॅ जिला प्रशासन के द्वारा बस के माध्यम से जिला सूरजपुर एवं कोरिया जिला के श्रमिकों को लेकर सूरजपुर मुख्यालय पहुॅचे जहाॅ नगर के बाहर ही रिंग रोड में कोरिया जिले के 5 श्रमिकों को कोरिया जिले से आये नोडल अधिकारियों को सौंपने के बाद सूरजपुर जिले के श्रमिकों को क्वांरटाईन सेंटर लाईवलीहुड काॅलेज भेजा गया है।
इसी बीच केरल के कोट्यम में कार्य कर रहें श्रमिकों ने बताया कि लाॅकडाउन में कार्य बंद हो जाने से वहाॅ रहने में बहुत समस्या हो रही थी, उनके द्वारा ट्रेेेन टिकट के लिए आॅनलाईन बुकिंग की गई थी। यहाॅ पहुॅच कर जिले की सीमा पर ही डाक्टरों के द्वारा स्वास्थ्य जांच भी किया गया जिसमें सभी श्रमिक स्वस्थ थे। जहाॅ से उन्हे क्वारंटाईन सेंटर भेजा गया है। इस समय श्रम अधिकारी श्री घनश्याम पाणिग्राही एवं श्रम निरीक्षक श्री रमेश साहू सक्रिय रहे। -
बलरामपुर 27 मई : महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी ने जानकारी दी है कि परियोजना रामचन्द्रपुर के सेक्टर कुर्लूडीह (अ) के आंगनबाड़ी केन्द्रों में रेडी-टू-ईट पूरक पोषण आहार प्रदाय करने के लिए महिला स्व. सहायता समूहों से प्रस्ताव आमंत्रित किया गया है। प्रस्ताव हेतु आवेदन पत्र 11 जून 2020 को शाम 5.30 बजे तक कार्यालय बाल विकास परियोजना रामचन्द्रपुर में जमा कर सकते हैं। इस संबंध में विस्तृत जानकारी हेतु बाल विकास परियोजना कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं। -
बलरामपुर 27 मई : आजकल कृषि से जुड़ी चर्चाओं में टिड्डी दल के द्वारा विभिन्न राज्यों में फसलों तथा वनस्पतियों को नुकसान की सूचनाएं प्राप्त हो रही है। हमारे देश में इस प्रकोप का प्रारंभ राजस्थान से हुआ तथा कीट दल द्वारा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र में फसलों को नुकसान पहुंचाते हुये छत्तीसगढ़ राज्य की ओर बढ़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है। जिले के कृषकों द्वारा फसलों में सीमित मात्रा में इस कीट की संख्या देखी है। टिड्डी दल मध्यप्रदेश के मालवा, निमाड़ की फसलों को क्षति पहुंचाते हुए सिंगरौली जिले की ओर बढ़ी है तथा बलरामपुर-रामानुजगंज में टिड्डी दल पहुंचने की आशंका व्यक्त की जा रही है। कृषि विज्ञान केन्द्र बलरामपुर द्वारा टिड्डी दल के विषय में जानकारी देते हुए बताया गया है कि वर्तमान में जो टिड्डी दल सक्रिय हैं, उसमें लाखों की संख्या में यह कीट एक साथ विचरण कर रहे हैं तथा जहां इनका आक्रमण होता है, उस स्थान की सम्पूर्ण वनस्पति जैसे खड़ी फसल, वृक्ष की पत्तियां, छाल आदि को खाकर बड़ी मात्रा में क्षति पहुंचाती है।
इस कीट के रोकथाम के लिए कृषकों को सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। जिस जगह पर इस कीट का आगमन हो उस स्थान में कृषकों द्वारा खेतों में तालियां, ढोल, खाली टीन के डिब्बे बजाकर तेज ध्वनि की जाए, जिससे यह कीट फसलों पर नहीं बैठ पायेगा। इस कीट के प्रभावी नियंत्रण हेतु सतत् निगरानी तथा सामूहिक प्रयास से ही सफलता मिल सकती है। सामूहिक प्रयास का यह अर्थ नहीं है कि लोग एक स्थान पर एकत्र होकर तालियां, ढोल बजाएं। कोरोना वायरस के प्रभाव को देखते हुए लोग सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करें। टिड्डी दल प्रायः शाम 6 बजे से रात्रि 8 बजे के मध्य फसलों तथा वनस्पतियों पर बैठता है तथा प्रातः उड़कर अन्य स्थानों में चला जाता है, इस विश्राम अवधि के दौरान यह अत्यधिक मात्रा में फसलों तथा वनस्पतियों को नुकसान पहुंचाता है।
फसलों पर इन कीटों का प्रकोप होने पर रासायनिक कीटनाशी फेनीट्रोथीयोन 50 ई.सी. अथवा क्वीनालफॉस 25 ई.सी. की 1 लीटर दवा को 800-1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टर के हिसाब से छिड़काव करें। इसके अतिरिक्त नीम युक्त कीटनाशी की 20-40 मिली मात्रा का 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से टिड्डीयां फसलों को नहीं खाती है। फसल कटाई उपरांत खेतों में गहरी जुताई करें, जिससे इनके अंडे नष्ट हो जायेंगे। इसके साथ ही कृषकों से यह अपील की जाती है कि इस कीट का प्रकोप होने की दशा में तत्काल इसकी सूचना कृषि विज्ञान केन्द्र अथवा कृषि विभाग के अधिकारियों को उपलब्ध करायें। -
बलरामपुर 27 मई : कोरोना वायरस के नियंत्रण हेतु जिला के अन्तर्गत प्रत्येक विकासखण्डों में 02 लैब टेक्निशियनों की 03 माह की अस्थाई संविदा नियुक्ति हेतु आवेदन आमंत्रित किया गया था। प्राप्त आवेदनों का परीक्षण पश्चात् पात्र-अपात्र की सूची तैयार कर ली गई है। अभ्यर्थी पात्र-अपात्र की सूची जिले के वेबसाईट एवं कार्यालय राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन बलरामपुर व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के सूचना पटल पर अवलोकन कर सकते हैं। इस संबंध में अभ्यर्थी अपना दावा आपत्ति 29 मई 2020 दोपहर 12.00 बजे तक कर सकते हैं। -
बलरामपुर 27 मई : स्वास्थ्य की दृष्टि से कोरोना वायरस के पीड़ित से सम्पर्क तथा संदेही से दूर रहने की सख्त हिदायत है। शासन द्वारा यह भी निर्देशित किया गया है कि इससे बचने के सभी संभावित उपाय अमल में लाया जाए। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री संजीव कुमार झा के द्वारा छत्तीसगढ़ एपिडेमिक डिसीज कोविड-19 रेगुलेशन्स 2020 में उल्लेखित प्रावधानों का प्रयोग करते हुए राजपुर अनुभाग के अन्तर्गत डी.ए.व्ही. मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल भवन पतरातू को क्वारेंन्टीन सेन्टर हेतु अधिग्रहित किया गया है। छत्तीसगढ़ एपिडेमिक डिसीज कोविड-19 रेगुलेशन्स 2020 की धारा 14 के अंतर्गत उल्लेखित है कि किसी व्यक्ति/संस्था/संगठन द्वारा कोराना वायरस के संक्रमण की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु जारी किसी भी निर्देश की उल्लंघन किया जाता है तो वह भारतीय दण्ड संहिता 1860 (1860 का 45) की धारा 188 के अंतर्गत दण्डनीय अपराध की श्रेणी के अंतर्गत आयेगा। -
बलरामपुर 27 मई : नॉवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण काल के दौरान जिले से संदिग्ध व्यक्तियों का सैंपल, जांच हेतु प्रेषित किया गया था। जिसमें जिले के तहसील वाड्रफनगर के ग्राम पंचायत बलंगी के क्वारेंटीन सेंटर प्री मैट्रिक कन्या छात्रावास में एक व्यक्ति की जांच रिपोर्ट पॉजीटिव पाए जाने पर 500 मीटर परिधि क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है। इसी प्रकार तहसील कुसमी अन्तर्गत प्री मैट्रिक बालक छात्रावास रामनगर में एक व्यक्ति की जांच रिपोर्ट पॉजीटिव पाए जाने पर 200 मीटर परिधि क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन एवं तहसील राजपुर अन्तर्गत ग्राम पंचायत रनहत के क्वारेंटीन सेंटर कन्या आश्रम में भी एक व्यक्ति की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव पाए जाने पर 100 मीटर परिधि क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है। कलेक्टर श्री संजीव कुमार झा ने कंटेनमेंट जोन में दायित्व निर्वहन करने संबंधित अधिकारियों की ड्यूटी लगाई है। जिन्हें आवश्यक व्यवस्था करने के निर्देश दिये गये हैं। घोषित किये गए क्षेत्र में आम नागरिकों का आवागमन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित रहेगा। घोषित कंटेनमेंट क्षेत्र के लिए पर्यवेक्षक हेतु संबंधित अनुविभागीय अधिकारी राजस्व तथा उनके निर्देशन में तहसीलदार की भी नियुक्ति की गई है।
कन्टेन्मेंट जोन के अन्तर्गत समस्त दुकानें एवं अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठान आगामी आदेश पर्यन्त बंद रहेंगे। नोडल अधिकारी द्वारा घर पहुंच सेवा के माध्यम से अति आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति उचित दरों पर सुनिश्चित की जावेगी। सभी प्रकार के वाहनों के आवागमन पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। मेडिकल इमरजेंसी को छोड़कर अन्य किन्ही भी कारणों से घर के बाहर निकलना प्रतिबंध होगा। स्वास्थ्य विभाग के मानकों के अनुरूप व्यवस्था हेतु पुलिस पेट्रोलिंग सुनिश्चित की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार आवश्यक सर्विलांस, कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग एवं सैंपल जांच आदि की कार्यवाही की जाएगी। एक्टिव सर्विलांस टीम को एस.ओ.पी. अनुसार दवा मास्क इत्यादि उपलब्ध कराना एवं बायो मेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन हेतु मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा। जोन में प्रवेश एवं निकास हेतु बैरिकेटिंग व्यवस्था कार्यपालन अभियंता लोक निर्माण विभाग के द्वारा की जाएगी। -
- सोखने के साथ स्वच्छता और साइज भी है तय(मासिक धर्म स्वच्छता दिवस 28 मई विशेष)
बिलासपुर 27 मई : मासिक धर्म में जिन सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल स्वच्छता और सुरक्षा के लिए किया जाता है वह पूरी तरह से सुरक्षित हो और उससे महिलाओं की सेहत पर बुरा असर भी न पड़े, इसके लिए सरकार ने मानक तय कर रखे हैं।
इंडियन ब्यूरोऑफ़ स्टैंडर्ड्स ने सैनेटरी पैड के लिए यह मानक मूलरूप से 1969 में प्रकाशित किया था जिस से फिर1980 में संशोधित किया गया । समय-समय पर इसमें बदलाव भी किए जाते रहे हैं।"सैनिटरी नैपकिन" या "सैनिटरीपैड" मासिक धर्म के दौरान रक्त को सोखने के लिए उपयोग किया जाता है। मासिक स्राव के मद्देनजर तय किए गए मानक के मुताबिक पैड्स एक उचित मोटाई, लंबाई और अवशोषण क्षमता वाले होने चाहिए। यानि सैनिटरी पैड का काम सिर्फ़ ब्लीडिंग को सोखना नहीं स्वच्छता (हाइजिन) के पैरामीटर पर भी खरा उतरना है। अमूमन जब सैनिटरी पैड खरीदते हैं तो ब्रांड वैल्यू पर विश्वास करते हुए पै़ड्स ख़रीद लेते हैं जबकि सैनिटरी पैड की अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा सख्त विनिर्देश तैयार किए गए हैं। आईएस 5405 में मानदंडों और नियमों का विस्तृत विवरण है, जिसका सैनिटरी पैड निर्माताओ कों पालन करना होता है।सैनिटरी पैड गुणवत्ता के लिए मानक –
- सैनिटरी पैड बनाने के लिए अब्सॉर्बेंट फ़िल्टर और कवरिंग का सबसे अधिक ख़्याल रखना होता है। कवरिंग के लिए भी अच्छी क्वालिटी के कॉटन का इस्तेमाल होना चाहिए।- फिल्टर मैटेरियल सेल्युलोज़पल्प, सेल्युलोज़अस्तर, टिशूज़ या कॉटन का होना चाहिए। इसमें गांठ, तेल के धब्बों, धूल और किसी भी चीज़ की मिलावट नहीं होनी चाहिए। यह आईएस 758 के अनुरूप होना चाहिए।- नैपकिन में कम से कम 60 मिलीलीटर और नैपकिन के वजन से 10 गुना तरल पदार्थ सोखने की क्षमता होना जरूरी है।- नैपकीनकाकवर (बाहरीपरत) कपास, सिंथेटिक, जालीऔर बिना बुने हुए कपडे का और स्वच्छ होना चाहिए I- निर्माता के नाम या ट्रेडमार्क के साथ सैनिटरी नैपकिन की संख्या हर पैकेट पर चिह्नित होनी चाहिए ।- सैनिटरी नैपकिन विभिन्न आकृतियों और डिजाइन के हो सकते हैं। नियमित पैड्स 210 एमएम, लार्ज 211 से 240 एमएम, एक्ट्रालार्ज 241 से 280 एमएम और एक्स एक्स एल यानि 281 से अधिक होना चाहिए।- सैनिटरी पैड की सतह चिकनी, नरम और आरामदायक होनी चाहिए जिससे त्वचा को इंफेक्शन और जलन न हो। पैड पर चिपकाने वाले पदार्थो को सही जगह चिपकना चाहिएं।- पैड्स डिस्पोजेबल होना चाहिए यानि उन्हें 15 लीटर पानी के कंटेनर में डाल दें तो पैड्स को विघटित होना चाहिए ।-आईएसओ 17088 : उत्पाद है या नहीं, बायोडिग्रेडेबल, कम्पोस्टेबल या ऑक्सी-डिग्रेडेबल है, इसकी जानकारी सैनिटरी नैपकिन के हर पैकेट पर अंकित किया जाए।-पैड्स की पैकिंग गत्ते का डिब्बाबोर्ड, पॉलीथीन, पॉलीप्रोपाइलीन, पॉलिएस्टरया अन्य जो पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करती हो उसी में होनी चाहिए।इस तरह पहचानें नैपकीन- बाजार से नैपकिन खरीदते समय नैपकिन की सोखने की क्षमता 60 मिलीलीटर से कम लिखी है और प्लास्टिक रहित नहीं लिखा है तो नैपकिन न खरीदे।- नैपकिन पर 60 मिलीलीटर पानी दो बार में 5-5 मिनट के अंतराल में धीरे-धीरे डालें तथा 10 मिनट के बाद नैपकिन का सूखापन हाथ से देखें।नैपकिन से पानी वापस नहीं निकलता है तो सोखने की क्षमता मानको के अनुसार है।- नैपकिन को छूकर उसकी सतह की पहचान करें कि उसकी सतह कितनी मुलायम है। कहीं पॉलिथीन का अगर प्रयोग हुआ है तो नैपकिन से हवा पास नहीं होगी। अतः ऐसा नैपकीन न खरीदें नहीं तो लालदाने और खुजली जैसी समस्या सूखेपन के बाबजूद हो सकती है । -
बलरामपुर जिले के सामरी स्थित बालक छात्रावास क्वारंटाइन सेंटर में डयूटी पर तैनात आरक्षक के द्वारा खुद को गोली मारने की खबर मिल रही है सूत्रों से मिल रही खबरों के अनुसार आरक्षक को मेडिकल कॉलेज में भर्ती के लिए रवाना किया गया है आरक्षक की पहचान महेश सिंह के रूप में किया गया है वह सामरी थाने में पदस्थ था मूल रूप से वह सरगुजा के दरिमा थाना क्षेत्र के देवीटिकरा का निवासी है आरक्षक ने खुद को गोली क्यों मारी यह कारण अज्ञात है बताया जा रहा है कि हादसे से पहले वह मोबाइल में किसी से बात कर रहा था.
- जगदलपुर : कलेक्टर डॉ. अय्याज तम्बोली के माध्यम से निर्देषानुसार खनिज विभाग के जांच दल द्वारा 25 मई को बस्तर जिले के बकावण्ड तहसील के बजावण्ड क्षेत्र में आकस्मिक निरीक्षण के दौरान गौण खनिज रेत के अवैध परिवहन करते हुए 04 वाहन चालकों के विरूद्ध खनिज का अवैध परिवहन का प्रकरण दर्ज किया गया है।
प्रभारी खनि अधिकारी ने बताया कि अवैध परिवहन के तहत् 04 प्रकरण को बिना वैध अभिवहन पास के चालकों द्वारा खनिजों का परिवहन करते पाये जाने पर खनिज मय वाहनों को जप्त किया गया है। उक्त सभी प्रकरणों को छत्तीसगढ़ गौण खनिज नियम के तहत् दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी। खनिज विभाग के द्वारा जिले के खनिज ठेकेदारों, खनिज परिवहनकर्ताओं को निर्देषित किया गया है, कि बिना वैध अभिवहन पास के खनिजों का परिवहन करना दण्डनीय अपराध है। अवैध परिवहनकर्ताओं के विरूद्ध विभाग के द्वारा कर्रवाई की जाएगी। -
मुंगेली : कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने कहा है कि वर्तमान मे वैश्विक स्तर पर फैले कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम हेतु युद्ध स्तर पर प्रयास किये जा रहे है । संदिग्ध मरीजो का सेम्पल जांच हेतु प्रेषित किया गया है।
ऐसी स्थिति मे पॉजिटिव पाये जाने वाले व्यक्तियों के नाम , पता वाट्सअप अथवा सोशल मीडिया मे प्रसारित करना घोर लापरवाही के श्रेणी मे आता है। उन्होने पॉजिटिव पाये जाने वाले व्यक्तियों के नाम , पता वाट्सअप अथवा सोशल मीडिया मे प्रसारित करने वालो और संबंधित एडमिन के विरूद्ध सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होने जारी आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने हेतु संबंधितो को निर्देश दिये। -
कोरबा 27 मई : अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों और अन्य लोगों को घर वापसी के क्रम में श्रमिक स्पेशल ट्रेन तमिलनाडू के कोयंबटूर से रवाना होकर आज सुबह 10 बजे कोरबा स्टेशन पहुंची। इस स्पेशल ट्रेन में कोरबा, रायगढ़ बलरामपुर, जशपुर, कोरिया सहित अन्य पड़ोसी राज्यों के 311 श्रमिक सवार थे। ट्रेन के कोरबा स्टेशन पहुंचने पर एडीएम श्री संजय अग्रवाल, डिप्टी कलेक्टर श्री अजय उरांव सहित अन्य विभागीय अधिकारी और कर्मचारियों ने श्रमिकों का स्वागत किया। श्रमिकों से भरी ट्रेन के स्टेशन पर पहुंचते ही फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए उन्हें बोगियों से बारी-बारी करकेे उतारा गया। सभी लोगों की जानकारी नाम, पता, मोबाइल नंबर दर्ज किया गया। सभी लोगों की स्वास्थ्य विभाग के मेडिकल टीम द्वारा थर्मल स्केनिंग एवं अन्य स्वास्थ्य जांच भी किया गया। कोविड-19 के संदिग्ध श्रमिकों का सेम्पल भी लिया गया। ट्रेन के कोरबा स्टेशन पहुंचने से पहले ही पूरे स्टेशन को सेनेटाइज किया गया था। स्वच्छता कर्मियों द्वारा लगातार स्टेशन पर सेनेटाइजर का छिड़काव किया गया और उतरने वाले सभी श्रमिकों एवं उनके सामानों को भी सेनेटाइज किया गया।
कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल के दिशा निर्देश और मार्गदर्शन में कोविड-19 संक्रमण का बचाव करते हुए कोरबा जिले के सभी श्रमिकों को सावधानीपूर्वक बसो द्वारा क्वारेंटाइन सेंटर में भेजा गया। सभी श्रमिकों को हिदायत दी गई कि वे 14 दिन क्वारेंटाइन में रहें तथा कोरोना से बचाव एवं सुरक्षा के लिए सभी निर्देशों का पालन करें। स्टेशन पर उतरे सभी श्रमिकों को पीने का पानी और पैक्ड भोजन भी दिया गया। ट्रेन से आये कोरबा के सभी श्रमिकों को उनके गृह विकासख्ंाड के क्वारेंटाइन सेंटर में भिजवाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा बस की सुविधा उपलब्ध करवाई गई। अन्य निकटतम जिला तथा अन्य राज्यों के श्रमिकों के लिए क्वारेंटाइन सेंटर में भोजन की व्यवस्था की गई है। सभी प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्य की सीमा तक पहुंचाने के लिए वाहनों की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की जा रही है।
कोयंबटूर-कोरबा स्पेशल ट्रेन से कोरबा पहुंचे कुल 311 श्रमिकों में से छत्तीसगढ़ के कुल 201 श्रमिक हैं जिसमें से कोरबा जिले के 120 श्रमिक शामिल है। इस ट्रेन द्वारा आये कोरबा जिले के 120 लोगों में से पाली विकासखंड के 14, करतला विकासखंड के 13, कोरबा विकासखंड के 38, पोंड़ी-उपरोडा विकासखंड के 39, कटघोरा विकासखंड के 16 श्रमिक
शामिल हैे। छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के श्रमिकों में बलरामपुर के 11, सरगुजा के दो, कोरिया के एक, रायगढ़ के 67 कुल 81 लोग शामिल हैं। इस श्रमिक स्पेशल ट्रेन में छत्तीसगढ़ के बाहर के भी श्रमिक सवार थे। जिसमें मध्यप्रदेश के सात, झारखंड के 14, बिहार के 40, ओड़िशा के चार, उत्तर प्रदेश के 45 कुल 110 श्रमिक शामिल थे।
रायगढ़ जिले के रहने वाले श्रमिक विमल तिग्गा ने बताया कि वह काम की तलाश में कोयंबटूर गया था। वहां के कपड़ा मील में काम मिलने से वहीं रहके काम करने लगा। कोरोना वायरस के कारण लागू लाॅक डाउन के कारण कपड़ा मील बंद हो गया और खाने-पीने की समस्या पैदा हो गई। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर चलाये गये विशेष श्रमिक ट्रेन की जानकारी मिली और राज्य शासन की द्वारा किये गये मदद से अपने गृह राज्य में घर वापसी का मौका मिला। ट्रेन के द्वारा सफलता पूर्वक कोरबा पहुंचने पर विमल तिग्गा और सभी श्रमिकों ने मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन का आभार व्यक्त किया।
-
कलेक्टर श्रीमती कौशल ने जिले के किसानों से सतर्क रहने की अपील कीटिड्डी दल को रोकने जिले में पर्याप्त मा़त्रा में कीटनाशक उपलब्ध
कोरबा 26 मई : करोड़ो की संख्या में दल के रूप में विचरण करते हुए फसलों को नुकसान पहुचाने वाले टिड्डी दल का प्रकोप राजस्थान होते हुए महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश राज्य तक पहुंच गया है। सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यह हमारे राज्य और विभिन्न जिले में भी प्रवेश कर सकते है। केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र ने सीमावर्ती जिले के कृषि अधिकारियों, कर्मचारियों एवं किसानों को सक्रिय रहने को कहा है। कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने जिले के किसानों को टिड्डी दल से सचेत रहने कहा है। श्रीमती कौशल ने किसानों को टिड्डी दल से संबंधित किसी भी तकनीकी सलाह के लिए कृषि विभाग के मैदानी अमले से जानकारी लेने की अपील की जिससे टिड्डी दल के हमले से फसलों को बचाने में सहायता मिल सकें। उन्होंने कहा कि फसलों पर टिड्डी दल का प्रकोप होने से भारी मात्रा में फसल को नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। कलेक्टर ने जिले के किसानों को नही घबराने और सतर्क रहने को कहा है जिससे समय रहते फसल को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। कलेक्टर ने किसानों से टिड्डी दल की गतिविधि पता चलने पर जरूरी दवाइयों का उपयोग करने एवं टिड्डी दल को भगाने के लिए लगातार कृषि विभाग के अधिकारियों के संपर्क में बने रहने की अपील की है।
उपसंचालक कृषि श्री एम.जी. श्यामकुंवर ने बताया कि टिड्डी दल सायंकाल 6-9 बजे खेतों में स्वार्म करते हैं इनकी गति 80-150 किलोमीटर प्रतिदिन होती है। कृषकों एवं ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के माध्यम से तत्काल जानकारी प्राप्त करके नियंत्रण हेतु कृषि विभाग द्वारा पूर्ण तैयारी कर ली गई है। इसके रोकथाम के लिए जिले के प्राइवेट डीलर्स के यहां प्रभावशील दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। किसान कीटनाशक मैलाथियोन, फेनवलरेट, क्विनालफोस तथा फसलों एवं अन्य वृक्षों के लिए क्लोरोपायरीफोस, डेल्टामेथ्रिन, डिफ्लूबेनजुरान, फिप्रोनिल, लेमडासाइहेलोथ्रिन कीटनाशक का उपयोग कर सकते है।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, टिड्डियों को उनके चमकीले पीले रंग और पिछले लंबे पैरो से उन्हे पहचाना जा सकता है। टिड्डी जब अकेली होती हैं तोे उतनी खतरनाक नही होती लेकिन झुंड में रहने पर इनका रवैया बेहद आक्रमक हो जाता है। टिड्डी दल करोड़ो की संख्या में होती है और फसलों को एकतरफा सफाया कर देती है। टिड्डी दल दुर से ऐसा लगता है जैसे फसलों के ऊपर किसी ने एक बड़ी-सी चादर बिछा दी हो। टिड्डिया खरीफ, रबी फसल एवं फलदार वृक्षों के फूल, फल, पत्ते, बीज, पेड़ की छाल और अंकुर सब कुछ खा जाती है। हर एक टिड्डी अपने वजन के बराबर खाना खाती है। इस तरह से एक टिड्डी दल, 2500 से 3000 लोगों का भोजन चट कर जाता है। टिड्डियों का जीवन काल लगभग 40 से 85 दिनों का होता है। कृषि विभाग के मैदानी अमलें टिड्डी दल की उपस्थिति को लेकर लगातार निगरानी कर रही है। रात के समय टिड्डियां जहां भी सेटल होती है उसकी खबर भारत सरकार की लोकस्ट टीम तक पहुंचाई जाती है। जिससे सुबह के समय टिड्डियों के उपर दवा का छिड़काव किया जा सकें।
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, किसान टिड्डी दल से बचने के लिए किए जाने वाले उपायों में फसल के अलावा ,टिड्डी किट जहा इक्कठा हो ,वह उसे फ्लेमथ्रोअर (आग के गोले )से जला दे ,टिड्डी दल आकाश में 500 फुट पर उड़ान भरता है ,कुछ टिड्डी नीचे भी उतरती है उसी समय भगाने के लिए थालियां ,ढोल ,नगाड़े ,लाउड स्पीकर या दूसरी चीजों के माध्यम से शोरगुल मचाएं जिससे फसलों को बचाया जा सकता है ,टीड्डों ने जिस स्थान पर अपने अंडे हों ,वह 25 कि.ग्रा., 5 प्रतिशत मेलाथियान या 1.5 प्रतिशत क्वीनालफॉक्स को मिला कर प्रति हेक्टेयर छिड़के ,टिड्डी दल को आगे बढ़ने से रोकने के लिए 100 कि.ग्रा. की धान की भूसी को 0.5 किलोग्राम फेनीट्रोथीयोन और 5 कि.ग्रा. गुड़ के साथ मिलाकर खेत में डाल दे,टिड्डी दल के खेत में बैठने पर 5 प्रतिशत मेलाथियान या 1.5 प्रतिशत क्वीनालफॉक्स का छिड़काव करे ,कीट की रोकथाम के लिए 50 प्रतिशत ई.सी. फेनीट्रोथीयोन या मेलाथियान अथवा 20 प्रतिशत ई.सी. क्लोरपाइरिफोस 1 लीटर दवा को 800 से 1000 लीटर पानी में मिला कर प्रति हेक्टेयर के क्षेत्र में छिड़काव करें ,टिड्डी दल सवेरे 10 बजे के बाद ही अपना डेरा बदलता है। इसलिए ,इसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए लिए 5 प्रतिशत मेलाथियोंन या 1.5 प्रतिशत क्वीनालफॉक्स घोलकर छिड़काव करें, 40मिली लीटर नीम के तेल को कपड़े धोने के पाउडर के साथ या 20-40 मिली नीम से तैयार कीटनाशक को 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से टिड्डे फसलों को नहीं खा पाते। फसल कट जाने के बाद खेत की गहरी जुताई करे। इससें इनके अंडे नष्ट हो जाते है।
सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है की जब तक कृषि विभाग का टिड्डी उन्मूलन विभाग ,टिड्डी दल प्रभावित स्थल पर पहुँचता है ,तब तक ये अपना ठिकाना बदल चुका होता है। ऐसे में किसान सावधान रहे की टिड्डी दल से संबंधित पर्याप्त जानकारी और उससे संबंधित रोकथाम के उपायों को मात्र अमल में लाना ही एक मंत्र विकल्प है। -
जिले से राज्य षासन एजुकेषन पोर्टल में 56115 बच्चों का पंजीयन
कोरिया 26 मई : राज्य षासन के निर्देषानुसार जिले में कोविड-19 के संक्रमण से बचाव हेतु हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं। तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए आॅनलाईन माध्यम से बच्चों को षिक्षा दी जा रही है। षासन द्वारा संचालित ‘‘पढ़ई तुंहर दुआर‘‘ लाॅकडाउन और ग्रीश्मकालीन अवकाष में बच्चों की निरन्तर पढ़ाई और समय का सदुपयोग करते हुए घर में रहकर पढ़ाई हेतु सषक्त माध्यम बन रहा है।
स्कूल षिक्षा विभाग द्वारा इजात किये गये आॅनलाईन षिक्षा के इस महत्वाकांक्षी योजना से जिले में कक्षा पहली से 12वीं तक की कक्षाएं वे-बैक्स के माध्यम से ली जा रही हैं। जिससे जिले के विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं। इसके लिए राज्य स्तर एवं जिला स्तर से समय सारणी बना कर विषेशज्ञ षिक्षकों द्वारा पढाई करायी जा रही है। साथ ही जिले के सभी विकासखंड में स्कूलों के छात्र-छात्राओं को वाट्सअप ग्रुप के जरिये भी वर्चुअल क्लास ली जा रही है। इस कार्य का सतत मानीटरिंग भी किया जा रहा है। जिसके फलस्वरूप जिले से राज्य षासन एजुकेषन पोर्टल में 56115 बच्चों का पंजीयन कर लिया गया है जो प्राप्त लक्ष्य का 86.40 प्रतिषत है। इसी तरह एजुकेषन पोर्टल में 4478 षिक्षकों एवं 1485 वर्चुअल कक्षाओं का पंजीयन कर लिया गया है। -
दुर्ग 26 मई : डोनेशन ऑन व्हील्स के जरिए दान देने वाले आम नागरिक, समाजसेवी, संगठन के अतिरिक्त बैंक प्रबंधन भी पीछे नहीं है। महापौर एवं भिलाई नगर विधायक श्री देवेंद्र यादव तथा महापौर परिषद के सदस्य नीरज पाल की उपस्थिति में आज बैंक ऑफ बड़ौदा सुपेला भिलाई के द्वारा जरूरतमंदों की मदद के लिए 100 पैकेट सूखा राशन निगम को प्रदान किया गया। इस पैकेट को जरूरतमंदों के लिए शीघ्र ही जोन कार्यालय को भेजा जा रहा है। बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा प्रदान किए गए पैकेट में चावल, दाल और तेल शामिल है, महापौर ने इस सहयोग के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा के अधिकारी/कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया है। लॉक डाउन में भूखे, गरीब, असहाय एवं इसी प्रकार के अन्य लोगों तक सहायता प्रदान करने लोगों ने अपने घर पर ही रहकर डोनेशन ऑन व्हील्स वाहन की मदद से राहत पैकेट, सब्जियां इत्यादि प्रदाय करके सहयोग किया है, निगम प्रशासन ऐसे दानवीरों को धन्यवाद ज्ञापित करता है।
डोनेशन ऑन व्हील्स से प्राप्त राहत सामग्री को जरूरतमंदों तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है इसके लिए जोन कार्यालय को राशन सामग्री प्रदाय की जा रही है तथा वितरण का कार्य जोन स्तर से किया जा रहा है। मजदूर सहायता केंद्र में भी दानदाता खुल कर दान कर रहे हैं और स्वयं उपस्थित होकर प्रवासी मजदूरों की मदद कर रहे हैं। -
दुर्ग 26 मई : बेलिंग मशीन के आने से पॉलिथीन के बिखराव में कमी आई है, हवा या अन्य माध्यमों से बिखरने वाले पॉलिथीन को लॉक डाउन के दौरान भी इस मशीन की सहायता से पॉलीथिन को कंप्रेस्ड कर बंडल के रूप में तब्दील किया जा रहा है। खुर्सीपार, नेहरू नगर सहित अन्य एसएलआरएम सेंटर में पॉलीथिन के बेहतर निष्पादन के लिए बेलिंग मशीन लगाया गया है। रोजाना एसएलआरएम सेंटर में आता है 1 टन पॉलिथीन यदि एसएलआरएम सेंटर में कचरा कलेक्शन के दौरान आने वाले पॉलिथीन की बात करें तो खुर्सीपार एवं नेहरू नगर में प्रतिदिन लगभग 1 टन पॉलीथिन आता है, बैकुंठधाम एवं पीली मिट्टी एसएलआरएम सेंटर में 300 से 350 किलोग्राम पॉलिथीन एकत्रित हो रहा है।
पॉलिथीन का हो रहा है बेहतर निपटान विभिन्न कंपनी द्वारा पॉलिथीन के बंडल को निष्पादन करने के लिए इसे ले जाकर सीमेंट फैक्ट्री में उपयोग किया जा रहा है, भाटापारा के विनय कंट्रक्शन द्वारा पॉलिथीन बंडल को ले जाया जा रहा है। इसी प्रकार अन्य कंपनियां भी पॉलीथिन के बंडल को ले जाने के लिए आगे आ रहे हैं। परंतु लॉक डाउन के दौरान अभी एसएलआरएम सेंटर में 65 टन से अधिक पॉलिथीन के बंडल तैयार होकर रखे हुए हैं जिन्हें सीमेंट कंपनी द्वारा ले जाया जाना है।लॉक डाउन में पतले पॉलिथीन में आई कमी निगम द्वारा प्रतिबंधित प्लास्टिक पर कार्रवाई की जाती रही है परंतु लॉक डाउन के दौरान पतली पॉलिथीन में कमी देखने को मिला है, इसके बजाय मोटे पॉलिथीन की संख्या पहले जैसी ही है, बाजारों की सफाई से हुए कलेक्शन की अपेक्षा डोर टू डोर कलेक्शन से पॉलीथिन अधिक प्राप्त हो रहे हैं, जिसमें ज्यादातर मोटे पॉलिथीन ही है जोकि प्रायरू खाद्य पदार्थों के हैं।
सूखे कचरे से पॉलिथीन को किया जाता है पृथक एसएलआरएम सेंटर में गीला कचरा एवं सूखा कचरा दोनों ही प्राप्त हो रहे हैं सूखे कचरे में से पॉलीथिन को अलग करने के लिए पंजानुमा तार तैयार किया गया जिसकी सहायता से आसानी से सूखे कचरे से पॉलीथिन को अलग कर लिया जाता है, पूर्णतरू अलग होने के बाद इसे बोरे में भरकर रखा जाता है ताकि बंडल बनाया जा सके।
निगम क्षेत्र से निकलने वाले पाॅलीथीन को बंडल के रूप में तब्दील कर बेहतर निष्पादन करने सीमेंट फैक्ट्री को दिया जा रहा है। प्रमुख बाजारों की दिन व रात दोनों पाली में सफाई करने के साथ निदान की शिकायतों का निराकरण शीघ्रता के साथ किया जा रहा है। झिल्ली, पन्नी के कचरे से शहर को निजात दिलाने अब और भी बेहतर कार्य होने लगा है, भिलाई निगम क्षेत्र से प्रतिदिन बहुतायत मात्रा में झिल्ली, पन्नी का कचरा निकलता है। निगम के नेहरू नगर, खुर्सीपार, पीली मिट्टी एवं वैकुंठधाम स्थित एसएलआरएम सेंटर में एकत्रित कचरों के पृथकीकरण के बाद सूखे कचरे से प्राप्त पाॅलीथीन को अलग करके बंडल तैयार किया जा रहा है, इस कार्य में तेजी आने के बाद अब निगम क्षेत्र में पाॅलीथीन के कचरों का ढेर भी काॅफी कम हो चुका है। प्रमुख बाजार वाले क्षेत्रों में दिन व रात में सफाई तथा रहवासी क्षेत्र में प्रतिदिन डोर टू डोर कचरा कलेक्शन निर्धारित समय में हो रहा है। - दुर्ग 26 मई : नगर पालिक निगम भिलाई क्षेत्र अंतर्गत स्व सहायता समूह की महिलाएं जरूरतमंदों की मदद के लिए हर कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं और प्रवासी मजदूरों तक खाना/सुखा नाश्ता पहुंचाने का कार्य कर रही है। निगम के सहायक परियोजना अधिकारी फणींद्र बोस ने जानकारी देते हुए बताया कि ओम साईं राम एरिया लेवल फेडरेशन खुर्सीपार की महिलाएं आपस में पैसा एकत्रित कर उन पैसों से खाद्य सामग्री खरीद कर मजदूरों के लिए भोजन/सूखा नाश्ता तैयार कर रही है और स्वयं पहुंचकर ऐसे लोगों को भोजनध् सुखा नाश्ता का पैकेट वितरण कर रहे हैं। इस कार्य में ओम साईं राम की महिला सदस्य जानकी, सत्यवती, गौरी, कलावती, यशोदा, सरोजिनी, मंजू, सावित्री एवं पार्वती अपनी जिम्मेदारी निभा रही है।
इन्होंने बताया कि लगातार तीन-चार दिनों से प्रवासी मजदूरों को भोजन पैकेट वितरण करने का कार्य कर रही है, यह महिलाएं स्वयं भिलाई के विभिन्न क्षेत्रों में जहां प्रवासी मजदूरों का वाहनों से आना जाना होता है वहां पहुंचकर भोजन पैकेट वितरण कर रही है। ओम साईं राम क्षेत्र स्तरीय संगठन खुर्सीपार मे 15 समूह की महिलाएं सम्मिलित है इनमें 2000 महिला सदस्य है, इन महिला सदस्यों द्वारा आपस में पैसा एकत्रित किया जाता है और उन पैसों से भोजन/सूखा नाश्ता तैयार किया जाता है। आज क्षेत्र स्तरीय संगठन कि ललिता सिंह ने प्रवासी मजदूरों को नेहरू नगर क्षेत्र में फल वितरित किया। गौरतलब है कि आश्रय स्थल एवं राहत शिविर में ठहरे हुए लोगों के लिए भी महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने नाश्ता सहित दो समय के लिए भोजन की बेहतर व्यवस्था महापौर एवं निगम आयुक्त के मार्गदर्शन में की थी तथा कुछ महिलाओं ने अपने घर में रहकर मास्क बनाने का भी कार्य किया है। निगम की स्व सहायता समूह की महिलाएं लॉक डाउन में भी जरूरतमंद लोगों की मदद करने पर बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही है। -
आम जनता को न हो परेशानी श्री धीरज बाकलीवाल ने समीक्षा बैठक में दिए निर्देश
दुर्ग 26 मई : महापौर श्री धीरज बाकलीवाल ने आज अमृत मिशन योजना और जलगृह विभाग के कामकाज की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को अमृत मिशन के सभी कार्यों को बारिश के पहले जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अमृत मिशन के तहत हो रहे कार्यों को तेजी से पूरा करने के लिए श्रमिकों और जरूरत के सामान की अग्रिम व्यवस्था सुनिश्चित करें। यदि कोई भी समस्या हो तो मुझे सीधे बतायें। यह योजना शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं में से है। जो सीधे जनता से जुड़ी है। जनता का हित सर्वोपरि है जिसमे किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होनें विभिन्न कार्यों के लिए खोदे गए गड्ढों को जल्द से जल्द भरकर समतलीकरण करने तथा लीकेज आदि के समस्या को तत्काल दूर करने निर्देश दिये।
उल्लेखनीय है कि शहर में अमृत मिशन योजना के अंतर्गत पाइप लाईन विस्तार एवं कनेक्शन जोड़ने का कार्य निरंतर किया जा रहा है। अधिकारियों ने अपनी समस्या के बारे में महापौर को अवगत कराते हुए बताया कि कोविड संकट के कारण श्रमिकों की कमी है। इस समस्या को जल्द ही सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं। श्री बाकलीवाल ने कहा कि सबसे पहले जहां खुदाई की गई है वहाँ समतलीकरण का काम करें। इंदिरा मार्केट, हटरी बाजार आदि क्षेत्रों में पाइप लाईन डालकर खुदाई से आम जनता काफी परेशान है। उन्होनें कहा अमृत मिशन के कार्यो को पूरा करने जलगृह विभाग और मिशन के अधिकारी आपस में समन्वय स्थापित कर कार्य करें। उन्होंने कहा कि कनेक्शन टूटने पर और लीकेज होने पर तत्काल उसकी मरम्मत करवाएं। साथ ही जिस वार्ड में काम हो रहा है वहां के पार्षद और आम नागरिकों से संपर्क बनाकर रखें।
बैठक में निगम आयुक्त इंद्रजीत बर्मन, जलगृह विभाग प्रभारी संजय कोहले, श्री सुशील बाबर कार्यपालन अभियंता, उपअभियंता भीमराव, जलकार्य निरीक्षक नारायण ठाकुर, एवं अमृत मिशन के मनोज सिंग, एवं कपिश व अन्य उपस्थित थे। -
दुर्ग 26 मई : फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले टिड्डी दल (लोकस्ट स्वार्म) का प्रकोप राजस्थान होते हुए महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश राज्य तक पहुंच गया है। सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यह हमारे राज्य और जिले में भी प्रवेश कर सकते है। केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र के सहायक निर्देशक ने सीमावर्ती जिले के कृषि अधिकारीयों कर्मचारियों एवं किसानों को सचेत रहने कहा है। टिड्डी दल सायंकाल 6-9 बजे खेतों में झुड़ में रहते है, इनकी गति 80-150 किलोमीटर प्रतिदिन होती है। तदनुसार कृषकों,ग्रामीणों कृषि विस्तार अधिकारी के माध्यम से तत्काल जानकारी प्राप्त करके नियंत्रण हेतु कृषि विभाग द्वारा पूर्ण तैयारी कर ली गई है। इसके रोकथाम के लिए जिले के प्राइवेट डीलर्स के यहाँ प्रभावशील अनुसंशित दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
किसान डेजर्ट एरिया के लिए कीटनाषक मैलाथियोन, फेनवलरेट, क्विनालफोस तथा फसलों एवं अन्य वृक्षों के लिए क्लोरोपायरीफोस, डेल्टामेथ्रिन, डिफ्लूबेनजुरान, फिप्रोनिल, लेमडासाइहेलोथ्रिन कीटनाशक का प्रयोग कर सकते है।
टिड्डियां क्या है ?
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, टिड्डियों को उनके चमकीले पीले रंग और पिछले लंबे पैरो से उन्हे पहचाना जा सकता है। टिड्डी जब अकेली होती हैं तोे उतनी खतरनाक नही होती लेकिन झुंड में रहने पर इनका रवैया बेहद आक्रमक हो जाता है। टिड्डी दल करोड़ो की संख्या में होती है और फसलों को एकतरफा सफाया कर देती है। आपको दुर से ऐसा लगेगा, मानो आपकी फसलों के ऊपर किसी ने एक बड़ी-सी चादर बिछा दी हो।
टिड्डियां क्या खाती है ?
हैरत की बात यह है कि टिड्डिया खरीफ, रबी फसल एवं फलदार वृक्षों के फूल, फल, पत्ते, बीज, पेड़ की छाल और अंकुर सब कुछ खा जाती है। हर एक टिड्डी अपने वजन के बराबर खाना खाती है। इस तरह से एक टिड्डी दल, 2500 से 3000 लोगों का भोजन चट कर जाता है। टिड्डियों का जीवन काल लगभग 40 से 85 दिनों का होता है।
टिड्डी दल के नियंत्रण के लिए किए जा रहे उपायः-
कृषि विभाग के मैदानी अमलें टिड्डी दल की उपस्थिति को लेकर लगातार निगरानी कर रही है। रात के समय टिड्डियां जहां भी सेटल होती है उसकी खबर भारत सरकार की लोकस्ट टीम तक पहुंचाई जाती है। जिससे सुबह के समय टिड्डियों के उपर दवा का छिड़काव किया जा सकें।
टिड्डी दल से बचाव के उपायः-
वैज्ञानिकों के मुताबिक, किसान टिड्डी दल से बचने के लिए कई उपाय अपना सकते है-
फसल के अलावा, टिड्डी किट जहा इक्कठा हो ,वह उसे फ्लेमथ्रोअर (आग के गोले) से जला दे ,टिड्डी दल आकाश में 500 फुट पर उड़ान भरता है ,कुछ टिड्डी नीचे भी उतरती है उसी समय भगाने के लिए थालियां ,ढोल ,नगाड़े ,लाउड स्पीकर या दूसरी चीजों के माध्यम से शोरगुल मचाएं जिससे फसलों को बचाया जा सकता है ,टीड्डों ने जिस स्थान पर अपने अंडे हों ,वह 25 कि.ग्रा., 5 प्रतिशत मेलाथियान या 1.5 प्रतिशत क्वीनालफॉक्स को मिला कर प्रति हेक्टेयर छिड़के ,टिड्डी दल को आगे बढ़ने से रोकने के लिए 100 कि.ग्रा. की धान की भूसी को 0.5 किलोग्राम फेनीट्रोथीयोन और 5 कि.ग्रा. गुड़ के साथ मिलाकर खेत में डाल दे,टिड्डी दल के खेत में बैठने पर 5 प्रतिशत मेलाथियान या 1.5 प्रतिशत क्वीनालफॉक्स का छिड़काव करे, कीट की रोकथाम के लिए 50 प्रतिशत ई.सी. फेनीट्रोथीयोन या मेलाथियान अथवा 20 प्रतिशत ई.सी. क्लोरपाइरिफोस 1 लीटर दवा को 800 से 1000 लीटर पानी में मिला कर प्रति हेक्टेयर के क्षेत्र में छिड़काव करें, टिड्डी दल सवेरे 10 बजे के बाद ही अपना डेरा बदलता है। इसलिए ,इसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए लिए 5 प्रतिशत मेलाथियोंन या 1.5 प्रतिशत क्वीनालफॉक्स घोलकर छिड़काव करें, 40 मिली लीटर नीम के तेल को कपड़े धोने के पाउडर के साथ या 20-40 मिली नीम से तैयार कीटनाशक को 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से टिड्डे फसलों को नहीं खा पाते। फसल कट जाने के बाद खेत की गहरी जुताई करे। इससें इनके अंडे नष्ट हो जाते है।
सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है की जब तक कृषि विभाग का टिड्डी उन्मूलन विभाग ,टिड्डी दल प्रभावित स्थल पर पहुँचता है ,तब तक ये अपना ठिकाना बदल चुका होता है। ऐसे में किसान सावधान रहे की टिड्डी दल से संबंधित पर्याप्त जानकारी और उससे संबंधित रोकथाम के उपायों को मात्र अमल में लाना ही एक मंत्र विकल्प है। -
दुर्ग 26 मई : दिनांक 26.05. 2020 को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के द्वारा जिला न्यायालय परिसर के प्रवेश द्वार में आटोमेटिक सेनेटाइजर टनल मशीन का उद्घाटन माननीय श्री गोविन्द कुमार मिश्रा, अध्यक्ष/जिला न्यायाधीश, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, दुर्ग के करकमलों के द्वारा किया गया। आटोमेटिक सेनेटाइजर टनल मशीन जिला न्यायालय के मुख्य गेट पर लगाया गया जिससे गुजरने वाले न्यायाधीश गण, अधिवक्तागण, कर्मचारी एवं पक्षकारों के सारे अंग में सेनेटाइजर का आटोमेटिक छिड़काव होगा जिससे न्यायालय में प्रवेश से पहले मशीन के अंदर जाने वाले व्यक्ति स्वतः ही सेनेटाइज हो जावेगें। ऐसी व्यवस्था कोरोना संक्रमण के बचाव में कारगर साबित होगी। आटोमेटिक सेनेटाइजर टनल मशीन के उद्घाटन समारोह में विशेष न्यायाधीश दुर्ग, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दुर्ग एवं समस्त अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश दुर्ग, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री राहुल शर्मा, पैरालीगल वॉलंटियर्स एवं जिला बार संघ के अध्यक्ष श्री गुलाब सिंह पटेल एवं बार संघ के सदस्यों ने भी भाग लिया। -
बेमेतरा 26 मई : कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री शिव अनंत तायल ने आदेश जारी कर बेमेतरा जिला अंतर्गत नवागढ़ तहसील के ग्राम तरपोंगी तथा साजा तहसील के ग्राम बासीन में आज मंगलवार 26 मई को कोरोना पॉजिटिव के एक-एक केस पाए जाने के कारण कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलाव को दृष्टिगत रखते हुए उक्त दोनो गांवों के चैहद्दी को कन्टेनमेंट जोन घोषित किया है। ग्राम तरपोंगी के प्रभारी अधिकारी तहसीलदार नवागढ़ कुमारी रेणुका रात्रे एवं पर्यवेक्षण अधिकारी एसडीएम नवागढ़ डीआर डाहिरे होंगे। ग्राम बासीन के प्रभारी अधिकारी नायब तहसीलदार चंद्रशेखर चंद्राकर एवं पर्यवेक्षण अधिकारी एसडीएम साजा आशुतोष चतुर्वेदी को बनाय गया है।
जारी आदेश अनुसार कन्टेनमेंट जोन में निम्नानुसार कार्यवाही की जावेगीः- उक्त चिन्हांकित क्षेत्रों अंतर्गत सभी दुकानें एवं अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे। प्रभारी अधिकारी द्वारा कन्टेनमेंट जोन में घर पहुॅच सेवा के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की जाएगी। कन्टेनमेंट जोन अंतर्गत सभी प्रकार के वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध रहेगा। मेडिकल इमरजेंसी को छोड़कर अन्य किसी भी कारण से घर से बाहर निकलना प्रतिबंधित होगा। कन्टेनमेंट जोन की निगरानी हेतु लगातार पुलिस पेट्रोलिंग की जावेगी। जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा संबंधित क्षेत्र में स्वास्थ्य की निगरानी एवं निर्देशानुसार सेम्पल इत्यादि जॉच हेतु लिया जाना सुनिश्चित किया जावेगा।
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री तायल द्वारा जारी आदेश में कन्टेनमेंट जोन में केवल एक प्रवेश एवं निकास की व्यवस्था हेतु बेरिकेटिंग, कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग, प्रवेश एवं निकास सहित क्षेत्र की सेनेटाईजिंग व्यवस्था एवं आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने, स्वास्थ्य टीम को एस.ओ.पी. अनुसार दवा, मास्क, पी.पी.ई.किट इत्यादि उपलब्ध कराने एवं बायो मेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन, घरों का एक्टिव सर्विलांस और खण्ड स्तर पर स्थापित नियंत्रण कक्ष में व्यवस्था हेतु प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया गया है। यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा। -
खेती-बाड़ी के लिए खाद्-बीज के लिए काम आयेगी राशि
बेमेतरा 26 मई : राज्य सरकार की राजीव गांधी किसान न्याय योजना लाॅकडाउन के समय बेमेतरा जिले के लघु-सीमांत किसानों को आर्थिक संबल दे रही है। जिले के नवागढ़ विकासखण्ड के सुदुरवर्ती ग्राम चक्रवाय के किसान श्री झम्मन कुमार बघेल को इस योजना के तहत उनके खाते मे 16 हजार 700 रु. की राशि जमा हुई है। बीते खरीफ सीजन 2019-20 मे धान उपार्जन केन्द्र-मारो मे उन्होने अपना धान बेचा था जिसके तहत उनके बैंक खाते मे अन्तरण राशि प्राप्त हुई है।
ग्राम-मोहलाईन के किसान बिसौहा राम साहू को किसान न्याय योजना के अंतर्गत 23 हजार 375 रु. की राशि उनके बैंक खाते मे जमा हुुई है। सुरेश कुमार साहू को 25 हजार 461 रु. की राशि उनके बैंक खाते मे जमा हुुई है। सुशील साहू को 24 हजार 100 रु. की राशि उनके बैंक खाते मे जमा हुई है। उन्होने अपना धान, उपार्जन केन्द्र गुंजेरा मे बेचा था। इसी तरह बेमेतरा विकासखण्ड के ग्राम-दाढ़ी के किसान सुरेन्द्र तिवारी के बैंक खाते मे 23 हजार 700 रु. की राशि बैंक खाते मे जमा हुई है। इन सभी किसानों ने छ.ग. के संवेदनशील मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को धन्यवाद देते हुए कहा कि लाॅकडाउन के इस संकट कें घड़ी मे प्रदेश सरकार ने सही समय पर बैंक खाते मे पैसे दिए है। जून-जुलाई मे खेती-बाड़ी का काम शुरु हो जाता है, और किसानों को खेती-बाड़ी के लिए खाद-बीज की जरुरत होती है, ऐसे समय मे पैसे आने से उनको अपने खेतों के लिए उन्नत बीज एवं खाद् खरीदने मे आसानी होगी।
ताकि वे उन्नत खेती करके अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके। उन्होने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने किसानो की समस्यांओं को समझा और राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत लाॅकडाउन के कठिन दौर से गुजर रहे किसानो के खातों मे धान उपार्जन की राशि अंतरित की गई जिससे उनको अर्थिक रुप से मदद् मिली है।