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 कोरिया : वनोपज का उचित दाम मिलने से ग्रामीणों जीवन में आया आर्थिक सुधार एवं खुशहाली
कोरिया 15 मई : वनोपज यानी वन की उपजए वन और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के आर्थिक जीवन को वनोपज प्रभावित करती है। महुआए लाखए इमली आदि वनांचल एवं ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन का हिस्सा है। जिसे बेचकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना रहे हैं।  वनधन विकास योजना के अंतर्गत जिले के ग्रामीणों एवं समूहों के आर्थिक सशक्तिकरण हेतु उनके द्वारा संग्रहित वनोपज का शासन द्वारा उचित समर्थन मूल्य पर क्रय किया जा रहा है। इसके माध्यम से गैर लकड़ी के छोटे वन उत्पाद का उपयोग कर वनांचल क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों एवं स्व सहायता समूहों को आजीविका प्रदान की जा रही है। कोरिया वनमंडल अधिकारी श्री राजेश चंदेले ने बताया कि जिले में कुल 17 में से 14 समूहों के द्वारा वनोपज क्रय एवं प्रसंस्करण का कार्य किया जा रहा है। शासन की इस योजना के जरिए वनांचल क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण एवं स्व सहायता समूह आर्थिक रूप से लाभांवित हो रहे हैं। जिले में अब तक कुल 1212ण्07 क्विंटल वनोपज का संग्रहण किया गया है। जिसकी कुल कीमत 13 लाख़ 82 हजार 963 रूपये है। वनों से प्राप्त होने वाले इन वनोपज में चरौटा 330ण्47 क्विंटलए रंगीनी लाख 1ण्35 क्विंटलए हर्रा 9ण्12 क्विंटलए बहेड़ा 18ण्28 क्विंटलए नागरमोथा 76ण्83 क्विंटलए इमली 62ण्12 क्विंटलए धवई फूल 131ण्73 क्विंटलए माहुल पत्ता 141ण्50 क्विंटल एवं महुआ फूल 440ण्67 क्विंटल शामिल हैं।

 जिले में संग्रहित वनोपज सामग्री की खरीदी के लिए 24 हाट बाजारों को चयनित किया गया है। शासन द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर हाट बाजारों के जरिए समूहों से खरीदी की जा रही है। कोरिया वनमंडल बैकुण्ठपुर में कुल 5 वनधन केन्द्र हैं। वनोपज क्रय एवं प्रसंस्करण में ग्राम स्तर पर 24 स्व सहायता समूह कार्य कर रहे हैं। इसी तरह हाट बाजार स्तर पर 16 एवं वनधन केन्द्र स्तर पर 5 स्व सहायता समूह कार्य कर रहे हैं। वनधन विकास योजना शासन की महत्वांकाक्षी योजना है। इस योजना के माध्यम से ग्रामीणों को वनोपज का उचित दाम मिलने लगा है जिससे उनके जीवन में आर्थिक सुधार एवं खुशहाली आई है।

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