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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
प्रेम को प्रकृति के साथ जोड़ता है एक पेड़ माँ के नाम अभियान : मंत्री श्री कश्यप
गौपालक किसानों व मत्स्य सहकारी किसानों को रुपे केसीसी कार्ड एवं डेयरी सोसायटियों को माइक्रो एटीएम वितरित कियारायपुर : सहकारिता एवं जल संसाधन मंत्री श्री केदार कश्यप शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस पर आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी में शामिल हुए। संगोष्ठी नवा रायपुर, अटल नगर में स्थित छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक (अपेक्स बैंक) परिसर में आयोजित की गई। उन्होंने इस अवसर पर एक पेड़ माँ के नाम अभियान के तहत परिसर में पौधरोपण किया। मंत्री श्री कश्यप ने इस मौके पर गौपालक तथा मत्स्य पालक किसानों को रुपे केसीसी कार्ड और दुग्ध सहकारी समितियो को माइक्रो एटीएम वितरित किया।
मंत्री श्री कश्यप ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि ‘एक पेड़ माँ के नाम‘ अभियान पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है और माँ के प्रति हमारी श्रद्धा। उन्होंने कहा कि यह अभियान प्रेम और कृतज्ञता व्यक्त करने का एक अनूठा तरीका भी है। माँ और प्रकृति दोनों ही जीवनदायिनी हैं, पोषण करती हैं, और बिना किसी स्वार्थ के अपनापन देती हैं ।
मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि माँ के नाम पर एक पेड़ लगाना माँ के प्रेम को प्रकृति के साथ जोड़ता है। यह एक जीवंत श्रद्धांजलि है, जो न केवल माँ के प्रति हमारी भावनाओं को व्यक्त करती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक उपहार है। उन्होंने कहा कि यह अभियान, ‘सहकारिता‘ के साथ, भारत में सामाजिक और पर्यावरणीय उत्थान के लिए महत्वपूर्ण पहल है। ये सामूहिक भागीदारी और सामूहिक जिम्मेदारी पर आधारित हैं, और इनकी मूल भावना सहयोग, संरक्षण और समाज में योगदान देने की है। ‘एक पेड़ माँ के नाम‘ पहल की शुरुआत प्रधानमंत्री द्वारा 5 जून 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर की गई थी। इसका उद्देश्य माताओं की स्मृति में पेड़ लगाने को प्रोत्साहित करना और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है। यह अभियान प्रकृति और मातृत्व के बीच समानता को रेखांकित करता है , क्योंकि दोनों ही जीवन का पोषण करते हैं ।
अपेक्स बैंक के प्राधिकृत अधिकारी श्री केदार नाथ गुप्ता ने कहा कि इस अभियान का संदेश है - ‘माँ के लिए एक पेड़, धरती के लिए एक कदम‘ इस संदेश के साथ सभी सहकारी समितियों को इस नेक कार्य में हिस्सा लेने और अपनी माँ के प्रेम को प्रकृति के साथ जोड़ने का आह्वान किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र व राज्य सरकार की मंशा है कि पैक्स सोसायटियो को मजबूत किया जाए।
अपर मुख्य सचिव, सहकारिता, छत्तीसगढ़ शासन श्री सुब्रत साहू ने राज्य स्तरीय सहकारी संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में ‘सहकार से संमृद्धि‘ अंतर्गत अनेक कार्यक्रम व नवाचार सहकारिता के माध्यम से किये जा रहे हैं, जिसमे सहकारिता क्षेत्र की इकाई-समितियो को बहुउद्देशीय बनाना व इस आंदोलन को और विस्तारित करना है। सहकारिता की महत्ता को ध्यान में रखते हुए 2021 में केंद्र सरकार द्वारा पृथक से सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया, जो इस आंदोलन के प्रति सरकार के सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है।
संगोष्ठी में छत्तीसगढ़ सहकारिता प्रकोष्ठ के अध्यक्ष श्री शशिकांत द्विवेदी, सहकारिता विभाग के सचिव डॉ. सी आर प्रसन्ना, आयुक्त सहकारिता श्री कुलदीप शर्मा, एमडी अपेक्स बैंक श्री के एन कांडे, अपर आयुक्त श्री एच के दोषी सहित जिला सहकारी बैंको, मार्कफेड, लघुवनोपज तथा एनसीडीसी तथा बड़ी संख्या में अपेक्स बैंक, जिला सहकारी बैंकों, जिला सहकारी संघ के अधिकारी गण मौजूद थे।
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भारत स्काउट गाइड संघ द्वारा प्रदेशव्यापी पौधरोपण अभियान
महासमुंद : भारत स्काउट गाइड संघ द्वारा प्रदेशव्यापी पौधरोपण अभियान के अंतर्गत आज महासमुंद जिले के स्काउट गाइड जिला प्रशिक्षण परिसर (डीईओ कार्यालय) में वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में एक पेड़ मां के नाम की भावना के साथ सभी उपस्थित जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों एवं स्काउट गाइड के सदस्यों ने बेल, नीम, कदंब के पौधे लगाए। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के अध्यक्ष श्री चंद्रहास चंद्राकर, भारत स्काउट गाइड संघ के जिला अध्यक्ष श्री येतराम साहू, जिला हैंडबॉल संघ के अध्यक्ष श्री प्रदीप चंद्राकर, नगरपालिका उपाध्यक्ष श्री देवीचंद राठी, कलेक्टर श्री विनय लंगेह, जिला पंचायत सीईओ श्री एस. आलोक, श्री राकेश चंद्राकर, श्री आनंद साहू, जिला शिक्षा अधिकारी श्री विजय लहरे, पूर्व डीईओ श्रीमती चंद्रसेन सहित स्काउट गाइड स्टाफ, छात्र-छात्राएं एवं अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ बीज निगम के अध्यक्ष श्री चंद्रहास चंद्राकर ने कहा कि वृक्षारोपण से न केवल पर्यावरण की सुरक्षा होती है, बल्कि यह हमारी अगली पीढ़ी को एक स्वच्छ और हरित वातावरण देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री जी का यह बहुत बड़ा अभियान है, जिसमें हर नागरिक की भागीदारी जरूरी है। हमें इसे जन आंदोलन का रूप देना है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्काउट गाइड संघ के जिला अध्यक्ष श्री येतराम साहू ने कहा कि पेड़ लगाना ही पर्याप्त नहीं है, हमें पेड़ को संरक्षित करना और उसका पालन-पोषण भी करना चाहिए। जब पेड़ सुरक्षित रहेंगे तभी हमारा पर्यावरण संतुलित रहेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री के पर्यावरण संरक्षण अभियान की सराहना करते हुए सभी को अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने एवं उन्हें संरक्षित रखने का आह्वान किया।
कलेक्टर श्री विनय लंगेह ने भी वृक्षों के महत्व पर विचार रखते हुए कहा कि हमें विकास के साथ पर्यावरण की भी चिंता करनी चाहिए। अधिक से अधिक पौधे लगाकर उनके संरक्षण की जिम्मेदारी स्वयं लेनी होगी। साथ ही जल संरक्षण के लिए रेन वाटर रिचार्जिंग और घरों में सोखता गड्ढा बनाना आवश्यक है। पानी बचाकर ही हम आने वाले समय को सुरक्षित रख सकते हैं। कार्यक्रम के माध्यम से वृक्षारोपण एवं जल संरक्षण के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने का संदेश दिया गया। सभी प्रतिभागियों ने एक पेड़ मां के नाम से पौधे लगाकर उन्हें सुरक्षित रखने का संकल्प लिया।
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बेमेतरा : चालू बारिश सीजन के दौरान बेमेतरा जिले में 01 जून से 04 जुलाई 2025 प्रतिवेदित दिनांक तक की स्थिति में सवेरे 8.00 बजे तक जिले में 78 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज की गई है। जिले में अब तक सर्वाधिक वर्षा तहसील थानखम्हरिया में 124.3 मि.मी. तथा न्यूनतम 43 मि.मी. वर्षा नवागढ़ तहसील में दर्ज की गई है। संयुक्त जिला कार्यालय के भू-अभिलेख शाखा से प्राप्त जानकारी के अनुसार बेमेतरा तहसील मे 53.9 मि.मी. वर्षा, नांदघाट तहसील में 84.9 मि.मी. वर्षा, बेरला तहसील में 68.2 मि.मी., देवकर तहसील में 81.5 मि.मी, वर्षा दाढ़ी तहसील मे 97 मि.मी., वर्षा भिंभौरी तहसील में 63 मि.मी. एवं साजा तहसील में 86 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज की गई है।
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खरीफ वर्ष 2025-26 के लिए एग्रीस्टेक परियोजना के अंतर्गत आयोजित किया गया प्रशिक्षण
बेमेतरा : एग्रीस्टेक परियोजना के अंतर्गत खरीफ वर्ष 2025-26 के ’’डिजिटल फसल सर्वेक्षण’’ को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने के उद्देश्य से आज 04 जुलाई 2025 को कलेक्टर कार्यालय बेमेतरा (भू-अभिलेख शाखा) द्वारा एक दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम जिला कार्यालय स्थित दिशा सभाकक्ष में आयोजित किया गया, जिसमें जिले के सभी तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक, प्रत्येक टप्पा राजस्व निरीक्षण मंडल के संबंधित पटवारीगण एवं डाटा एंट्री ऑपरेटरों ने भाग लिया। प्रशिक्षण का उद्देश्य डिजिटल फसल सर्वेक्षण की प्रक्रिया, तकनीकी पहलुओं और जिम्मेदारियों की विस्तृत जानकारी देना था, जिससे सर्वेक्षण कार्य में पारदर्शिता एवं सटीकता सुनिश्चित की जा सके।
प्रशिक्षण में जिला स्तरीय मास्टर ट्रेनर द्वारा उपस्थित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सर्वेक्षण के विभिन्न चरणों, मोबाइल ऐप्लिकेशन के उपयोग, खेत की जीआईएस आधारित मैपिंग, फसल की वास्तविक स्थिति दर्ज करने की प्रक्रिया एवं फील्ड डाटा एंट्री से जुड़ी तकनीकी जानकारियों का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर भू-अभिलेख शाखा की प्रभारी अधिकारी एवं नोडल अधिकारी सुश्री दिव्या पोटाई तथा अधीक्षक भू-अभिलेख श्री वीरेंद्र साय उपस्थित रहे। उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को संबोधित करते हुए इस परियोजना की महत्ता पर प्रकाश डाला और कहा कि डिजिटल फसल सर्वेक्षण से शासन को वास्तविक फसल आँकड़ों की उपलब्धता होगी, जिससे किसानों के हित में योजनाओं का लाभ अधिक प्रभावी रूप से पहुँच सकेगा।कार्यक्रम का समापन अधिकारियों द्वारा फील्ड स्तर पर कार्य करने हेतु प्रशिक्षण प्राप्त कर्मचारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश देने के साथ किया गया। प्रशिक्षण के माध्यम से यह सुनिश्चित किया गया कि प्रत्येक कर्मचारी अपने कार्यक्षेत्र में निर्धारित समय सीमा में गुणवत्तापूर्ण एवं त्रुटिरहित फसल सर्वेक्षण संपन्न करें।
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बेमेतरा : जैसे ही मानसून की पहली बूंदें धरती को भिगोने लगी हैं, जिले के कृषक खरीफ सीजन की तैयारी में जुट गए हैं। खेतों की जुताई और बीजों की तैयारी के साथ अब फसलों की बेहतर पैदावार और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन (आईएनएम) को भी प्रमुखता दी जा रही है। फसलों की स्वस्थ वृद्धि और अधिक उत्पादन के लिए कुल 17 प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जिनमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश प्रमुख हैं। नाइट्रोजन पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तीव्र करता है तथा तनों और पत्तियों की वृद्धि में सहायक होता है। फास्फोरस जड़ों की मजबूती और विकास के लिए अनिवार्य है। पोटाश पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ जल अवशोषण में भी मदद करता है।
इन पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए किसान यूरिया, डीएपी, एनपीके, सुपर फास्फेट, पोटाश जैसे विभिन्न उर्वरकों का उपयोग करते हैं। अब किसान सिर्फ एक ही प्रकार के उर्वरक पर निर्भर न रहकर मिश्रित और संतुलित उर्वरक रणनीति अपना रहे हैं, ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर हो। इस दिशा में जिले के नवलपुर ग्राम (विकासखंड बेमेतरा) की कृषक श्रीमती बेदनबाई पति श्री सोपन एक उदाहरण बनकर सामने आई हैं। उन्होंने अपने 2.42 एकड़ खेत में समन्वित पोषण प्रबंधन अपनाते हुए सेवा सहकारी समिति लोलेसरा से 10 बोरी यूरिया, 01 बोरी सुपर फास्फेट, 03 बोरी डीएपी और 01 बोरी पोटाश का उठाव किया है। श्रीमती बेदनबाई ने बताया कि वे अपने खेत में हमेशा संतुलित मात्रा में और आवश्यकतानुसार उर्वरकों का ही उपयोग करती हैं। उनका मानना है कि एक ही प्रकार की खाद पर निर्भरता से फसल को पूर्ण पोषण नहीं मिल पाता। इसलिए वे अलग-अलग स्रोतों से आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करती हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति भी बनी रहती है और उत्पादन भी संतोषजनक होता है। जिला कृषि विभाग द्वारा भी किसानों को नियमित रूप से जागरूक किया जा रहा है कि वे वैज्ञानिक सलाह के अनुरूप उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें, ताकि मृदा की सेहत बनी रहे और दीर्घकालीन लाभ प्राप्त किया जा सके।
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बेमेतरा : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. एस.एस. टूटेजा के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केन्द्र बेमेतरा में कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा, कर्वधा एवं मुंगेली की वैज्ञानिक सलाहकार समिति की वार्षिक बैठक आयोजित की गई। बैठक का आयोजन जिले में खरीफ, रबी एवं ग्रीष्मकालीन मौसम में कृषि, पशुपालन, उद्यानिकी एवं मछली पालन क्षेत्रों में उन्नत तकनीकों के प्रसार और समस्याओं के समाधान हेतु कार्ययोजना तैयार करने के उद्देश्य से किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. जी.पी. आयाम, वैज्ञानिक, निदेशालय विस्तार सेवाएं, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा की गई। उन्होंने बैठक की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए सभी प्रतिभागियों से तकनीकी सुझाव साझा करने की अपील की।कार्यक्रम के शुभारंभ में वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख श्री तोषण कुमार ठाकुर (केवीके बेमेतरा) ने स्वागत भाषण देते हुए कृषि विज्ञान केन्द्रों की भूमिका को किसान और अनुसंधान के मध्य सेतु के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि किसानों को कृषि विज्ञान और अनुसंधान के साथ समन्वय बनाकर नये नवाचारों को अपनाना चाहिए। बैठक के मुख्य अतिथि डॉ. संदीप भंडारकर, अधिष्ठाता, रेवेन्द्र सिंह वर्मा कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, ढोलिया बेमेतरा ने छत्तीसगढ़ की दलहन एवं तिलहन फसलों की स्थिति पर विस्तार से जानकारी दी और फसल चक्र अपनाने की सलाह दी। विशेष अतिथि डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि कृषि समय आधारित प्रक्रिया है, अतः उन्नत बीज, जैव उर्वरक, बायोपेस्टिसाइड व अन्य कृषि आदानों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
डॉ. एस.आर.के. सिंह, निदेशक, कृषि तकनीक अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), आई.सी.ए.आर., जबलपुर ने प्रदेश में पारंपरिक दलहनी व तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने हेतु जलवायु अनुकूल किस्मों के चयन और कार्ययोजना निर्माण पर बल दिया।तकनीकी सत्र के दौरान केवीके बेमेतरा, कवर्धा एवं मुंगेली के प्रमुख वैज्ञानिकों डॉ. बी.पी. त्रिपाठी, श्री तोषण कुमार ठाकुर व डॉ. एस.के. लहरे द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। साथ ही प्रस्तावित कार्य योजनाओं पर विभागीय अधिकारियों और समिति सदस्यों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श किया गया।इस दौरान प्रगतिशील किसानों ने भी अपने अनुभव साझा किए एवं पशुधन संरक्षण, सीमित चारागाह, फसल अवशेष प्रबंधन, जैविक व प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, पारंपरिक फसलों के प्रोत्साहन हेतु अनुदान व योजनाएं लागू करने संबंधी सुझाव रखे।
बैठक में कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकगण डॉ. प्रदीप सिंह, ईजी.टी.एस. सोनवानी, डॉ. रजनी अगासे, डॉ. प्रमीला जोगी, डॉ. एन.सी. बंजारा, नेहा लहरे, डॉ. जितेन्द्र जोशी, डॉ. थानेश्वर देवांगन, इंजी. पल्लवी पोर्ते, डॉ. लव कुमार, श्री डोमन सिंह टेकाम एवं संबंधित विभागों के अधिकारी श्री सुमन सिंह पैकरा, श्री देशराज यादव, सुष्मिता कंवर, डॉ. पुष्पराज खटकर, डॉ. नूतन पंचखांडे, श्रीमती दीपा कहिरा, श्री निलेश चंद्रवंशी, श्री सुंदर वर्मा, श्री अमित वर्मा सहित 70 से अधिक अधिकारी और प्रगतिशील किसान उपस्थित थे।
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बेमेतरा : कलेक्टर श्री रणबीर शर्मा ने आज नगर पंचायत दाढ़ी का दौरा कर विभिन्न विकास कार्यों एवं नगरीय व्यवस्थाओं का गहन निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने नगर पंचायत क्षेत्र में संचालित सार्वजनिक सुविधाओं जैसे पेयजल व्यवस्था, साफ-सफाई, कचरा निपटान, सड़कें और सार्वजनिक शौचालय आदि का निरीक्षण किया। उन्होंने नगर पंचायत के अधिकारियों को स्पष्ट कहा कि शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करें। कलेक्टर ने कहा कि नगरीय प्रशासन की जवाबदेही बढ़ी है और जनता को मूलभूत सुविधाएं समय पर मिलनी चाहिए। उन्होंने स्वच्छता अभियान को प्रभावी ढंग से संचालित करने पर भी विशेष जोर दिया।
मुख्यमंत्री के प्रस्तावित दौरे को लेकर कलेक्टर ने लिया कार्यक्रम स्थल का जायजा, दिए सख्त निर्देश
छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के प्रस्तावित दौरे को दृष्टिगत रखते हुए कलेक्टर श्री रणबीर शर्मा ने नगर पंचायत दाढ़ी स्थित कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने आयोजन स्थल की समग्र व्यवस्था का सूक्ष्म अवलोकन किया, जिसमें मंच निर्माण, आगंतुकों के बैठने की व्यवस्था, पेयजल, स्वास्थ्य सुविधा, पार्किंग स्थल, विद्युत आपूर्ति, आपातकालीन सेवाएं तथा सुरक्षा व्यवस्था शामिल थीं। कलेक्टर ने संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि मुख्यमंत्री के दौरे में किसी भी प्रकार की लापरवाही या असुविधा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने समयबद्ध कार्य योजना बनाकर समन्वित रूप से कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि कार्यक्रम के पूर्व सभी व्यवस्थाएं सुस्पष्ट, सुरक्षित और व्यवस्थित होनी चाहिए। उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों से लेकर नगर प्रशासन और लोक निर्माण विभाग तक सभी अधिकारियों से कहा कि मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर सभी विभाग आपसी समन्वय से कार्य करें और संपूर्ण तैयारियां समय सीमा में पूर्ण कर लें।
कलेक्टर ने किया शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल दाढ़ी का निरीक्षण, छात्रों से की आत्मीय बातचीत
कलेक्टर श्री रणबीर शर्मा ने नगर पंचायत दाढ़ी प्रवास के दौरान शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल का निरीक्षण किया। विद्यालय पहुंचकर उन्होंने कक्षाओं का भ्रमण किया तथा विद्यार्थियों से सीधा संवाद किया। उन्होंने बच्चों से उनकी पढ़ाई, विषयों की समझ, शिक्षक की उपस्थिति तथा अध्ययन में आने वाली कठिनाइयों के बारे में विस्तार से चर्चा की। कई छात्रों ने आत्मविश्वास के साथ अपने विषयों से जुड़े उत्तर दिए, जिस पर कलेक्टर ने उनकी सराहना की। कलेक्टर ने शिक्षकों से कहा कि वे छात्रों को केवल परीक्षा के लिए नहीं, बल्कि जीवन के लिए तैयार करें। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे जीवन में सकारात्मक बदलाव संभव है। साथ ही विद्यालय परिसर की स्वच्छता, पुस्तकालय, प्रयोगशाला और शौचालय की स्थिति का भी उन्होंने अवलोकन किया और जरूरी सुधार हेतु सुझाव दिए।
कलेक्टर रणबीर शर्मा ने किए बड़ादेव शिव मंदिर एवं राम जानकी मंदिर के दर्शन, मंदिरों के संरक्षण पर दिया जोर
अपने दाढ़ी प्रवास के अंतर्गत कलेक्टर श्री रणबीर शर्मा ने नगर में स्थित ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों - प्राचीन बड़ादेव मंदिर और राम जानकी मंदिर में जाकर दर्शन किए और पूजा-अर्चना की। इन मंदिरों में पहुंचकर उन्होंने धार्मिक आस्था का सम्मान करते हुए परिसर की सफाई, प्राचीनता और सांस्कृतिक विरासत को देखकर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने मंदिर समिति एवं नगर पंचायत को निर्देशित किया कि इन धार्मिक स्थलों के रखरखाव एवं सौंदर्यीकरण के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। कलेक्टर ने कहा कि ऐसे धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थल समाज को जोड़ने का कार्य करते हैं और इनका संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने मंदिरों के सौंदर्यीकरण हेतु संभावित योजनाओं की रूपरेखा तैयार करने के लिए भी निर्देशित किया।
गौरतलब है कि बड़ादेव शिव मंदिर क्षेत्र का एक प्राचीन और ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी के प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर स्थानीय लोगों में उत्साह का माहौल हैं।इस दौरान एडीएम अनिल वाजपेयी, एसडीएम प्रकाश भारद्वाज, महिला बाल विकास अधिकारी सीसोदिया सहित संबंधित जिला अधिकारी उपस्थित थे।
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ईको-टूरिज्म की अपार संभावनाओं वाला जिला, सुनियोजित कार्ययोजना की आवश्यकताः-प्रभारी सचिव
बलरामपुर : छत्तीसगढ़ शासन के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की सचिव एवं जिले की प्रभारी सचिव श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले की अध्यक्षता में संयुक्त जिला कार्यालय भवन परिसर में विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में प्रभारी सचिव श्रीमती कंगाले ने विभागीय योजनाओं की प्रगति की जानकारी लेते हुए कहा कि अधिकारी योजनाओं की प्रभावी मॉनिटरिंग सुनिश्चित करें और लक्ष्य अनुरूप प्रगति अर्जित करें, जिससे जिले की रैंकिंग में सुधार हो सके। उन्होंने विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार कर अधिक से अधिक नागरिकों को लाभान्वित करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने कहा कि जिले में इको-टूरिज्म की व्यापक संभावनाएं हैं, जिसके लिए एक प्रभावी कार्ययोजना तैयार की जाए।
बैठक में कलेक्टर श्री राजेन्द्र कटारा, पुलिस अधीक्षक श्री बैंकर वैभव रमनलाल, वनमण्डलाधिकारी श्री आलोक कुमार बाजपेयी, जिला पंचायत सीईओ श्रीमती नयनतारा सिंह तोमर, अपर कलेक्टर श्री आर.एस. लाल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री विश्व दीपक त्रिपाठी सहित विभिन्न विभागों के विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।
प्रभारी सचिव ने राजस्व विभाग की समीक्षा करते हुए अविवादित, विवादित नामांतरण, सीमांकन, त्रुटि सुधार सहित लंबित प्रकरणों के समयबद्ध निराकरण के निर्देश दिए। प्रधानमंत्री जनमन योजना की समीक्षा करते हुए उन्होंने विशेष पिछड़ी जनजातियों के उत्थान के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि इस योजना का उद्देश्य इन समुदायों को मुख्यधारा से जोड़ते हुए शासन की सभी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करना है। प्रधानमंत्री आवास योजना की प्रगति की समीक्षा करते हुए उन्होंने कार्य में गति लाने के निर्देश दिए। उन्होंने मनरेगा के अंतर्गत संचालित गतिविधियों और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्राप्त उपलब्धियों की भी जानकारी ली।
कृषि विभाग के तहत किसान सम्मान निधि योजना की समीक्षा करते हुए उन्होंने किसानों को प्राप्त लाभ और नवाचारों के माध्यम से कृषि क्षेत्र को सशक्त करने की बात कही। उन्होंने पूर्व में पंजीकृत किसानों के अद्यतन पंजीयन को भारत सरकार के निर्देशानुसार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने कहा कि परीक्षा परिणामों में सुधार के लिए विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाए तथा शिक्षकों को समय-समय पर आधुनिक शिक्षण तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाए, जिससे छात्र बेहतर प्रदर्शन कर सकें। बैठक में जल जीवन मिशन, खाद-बीज, सौर सुजला योजना, उद्योग विभाग की योजनाएं, स्वच्छ भारत मिशन, रोजगार सृजन कार्यक्रम, रेशम विभाग की गतिविधियां और अन्य विभागीय योजनाओं की भी गहन समीक्षा की गई।
बैठक में कलेक्टर श्री राजेन्द्र कटारा ने जिले की प्रमुख उपलब्धियों और प्रशासनिक कार्यों से प्रभारी सचिव को अवगत कराया। कलेक्टर श्री कटारा ने जिले की भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक एवं प्रशासनिक संरचना की परिचयात्मक जानकारी दी। उन्होंने जिले की प्रमुख विशेषताओं, विकास की दिशा में चल रहे प्रयासों, प्रमुख योजनाओं की प्रगति तथा स्थानीय स्तर पर सामने आने वाली चुनौतियों की भी विस्तृत रूप से जानकारी दी।
पुलिस अधीक्षक श्री बैंकर वैभव रमनलाल ने जिले में अपराध नियंत्रण, कानून व्यवस्था एवं सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने हेतु किए गए प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पंजीबद्ध अपराधों की नियमित मॉनिटरिंग एवं त्वरित कार्रवाई के फलस्वरूप कई गंभीर मामलों का शीघ्र निराकरण हुआ है। संभावित अपराधों की रोकथाम हेतु समय-समय पर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही, रात्रि गश्त, निगरानी एवं सतर्कता को बढ़ाया गया है।
वनमण्डलाधिकारी श्री आलोक कुमार बाजपेई ने “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के अंतर्गत जिले में किए जा रहे व्यापक पौधारोपण की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नागरिकों द्वारा अपनी माताओं के नाम पर पौधे लगाए जा रहे हैं, जिससे पर्यावरण के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना बढ़ रही है। उन्होंने हाथियों द्वारा की गई क्षति की पूर्ति हेतु प्रभावित ग्रामीणों को नियमानुसार पारदर्शी ढंग से मुआवजा वितरण की जानकारी भी दी। साथ ही उन्होंने जिले के वन क्षेत्रों और प्राकृतिक स्थलों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों से भी अवगत कराया।
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महासमुंद : राज्यपाल श्री रमेन डेका ने आज महासमुंद जिले के गोड़बहाल प्रवास के दौरान वहां के महिला स्व-सहायता समूहों से आत्मीय भेंट की। इस अवसर पर राज्यपाल ने महिला समूहों द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें व्यवसाय के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि महिलाएं जो भी व्यवसाय करें, पूरी लगन और गुणवत्ता के साथ करें। आपसी सहयोग बनाए रखें और आंतरिक प्रतिस्पर्धा से बचें।
श्रीमती गायत्री यादव, श्रीमती राजश्री महिला स्व-सहायता समूह की सदस्य ने राज्यपाल को बताया कि उनका समूह दुग्ध उत्पादन का कार्य कर रहा है। वहीं, लीलावती पटेल, जयश्री महिला समूह की सदस्य ने बैग निर्माण के अपने व्यवसाय की जानकारी दी। माधुरी पटेल ने हस्तकला में समूह की दक्षता को साझा किया, जबकि गोमती पटेल ने भी दुग्ध उत्पादन की विस्तृत जानकारी दी। महिला समूहों की ओर से राज्यपाल को स्मृति चिह्न स्वरूप हस्तशिल्प उत्पाद भेंट किए गए। राज्यपाल ने महिला समूह की कार्यों की सराहना की और महिला सशक्तिकरण की दिशा में हो रहे प्रयासों की प्रशंसा की। इस अवसर पर कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह एवं जिला पंचायत सीईओ श्री एस आलोक भी उपस्थित थे।
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बलरामपुर : कभी-कभी प्रशासनिक दायित्वों के बीच ऐसे क्षण भी आते हैं, जब दिल बच्चों की मासूम मुस्कान में खो जाता है। ऐसा ही एक पल देखने को मिला जब छत्तीसगढ़ शासन की खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की सचिव एवं बलरामपुर जिले की प्रभारी सचिव श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले ने विकासखंड बलरामपुर स्थित पहाड़ी कोरवा आवासीय विद्यालय, भेलवाडीह का दौरा किया। इस दौरान उनके साथ कलेक्टर श्री राजेन्द्र कटारा पुलिस अधीक्षक श्री बैंकर वैभव रमनलाल, वनमंडलाधिकारी श्री आलोक कुमार बाजपेयी, जिला पंचायत सीईओ श्रीमती नयनतारा सिंह तोमर मौजूद रहे।
विद्यालय पहुँचते ही प्रभारी सचिव का नन्हें छात्र-छात्राओं ने मिलकर मनमोहक गीत के माध्यम से उनका स्वागत किया। उनकी निष्कलुष मुस्कान और सुरों की मिठास ने पूरे वातावरण को एक आत्मीय ऊर्जा से भर दिया। बच्चों के साथ संवाद करते हुए प्रभारी सचिव ने न केवल उनका नाम, कक्षा और गांव के बारे में जानकारी ली, बल्कि उनके सपनों के बारे में जानने की कोशिश की। जब उन्होंने पूछा “बड़े होकर क्या बनना चाहते हो?”, तो उत्तर में किसी ने डॉक्टर बनने की इच्छा जताई, किसी ने शिक्षक, किसी ने इंजीनियर। बच्चों की आंखों में झलकते आत्मविश्वास और उनके सपनों की उड़ान को देख उन्होंने कहा कि पढ़ाई, अनुशासन और आत्मविश्वास से आप जीवन में किसी भी ऊंचाई तक पहुंच सकते हो। यह विद्यालय आपकी पहली सीढ़ी है, इसे मजबूती से पकड़ो और आगे बढ़ते चलो। उन्होंने बच्चों को न सिर्फ प्रोत्साहित किया, बल्कि यह भी विश्वास दिलाया कि शासन उनके साथ है, उनके हर सपने में, हर संघर्ष में। प्रभारी सचिव ने बच्चों को स्कूल किट वितरित किए, और बच्चों के आग्रह पर उनके साथ सामूहिक फोटो भी खिंचवाया। यह क्षण सिर्फ एक चित्र नहीं था, बल्कि बच्चों को अपने सपनों को पूरा करने की प्रेरणा भी मिली। विद्यालय परिसर और शैक्षणिक वातावरण की सराहना करते हुए बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और उनके जीवन में सफलता के लिए शुभकामनाएं दी।
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बेमेतरा : बेमेतरा जिले में पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) एक सशक्त सामाजिक पहल बनकर उभरा है, जिसने अब तक 1953 कुपोषित बच्चों को स्वस्थ जीवन की ओर अग्रसर किया है। जिला अस्पताल बेमेतरा के एमसीएच बिल्डिंग में संचालित यह केंद्र जनवरी 2013 से सतत रूप से कार्यरत है, जहां 1 माह से 5 वर्ष तक के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को विशेष देखभाल और पोषक आहार के साथ नि:शुल्क उपचार प्रदान किया जाता है।
मानवता और सेवा की मिसाल बना एनआरसी
एनआरसी में बच्चों को 15 दिनों तक विशेष पोषण आहार जैसे थेराप्यूटिक फूड (F75, F100), फार्मूला मिल्क के साथ-साथ दलिया, खिचड़ी, हलवा, इडली आदि भी दिया जाता है। माताओं को दो समय का भोजन और 15 दिन बाद 2,250 रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जाती है। यहां भर्ती की प्रक्रिया सरल है दृ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन, एएनएम और चिरायु टीम की सिफारिश या पालकों की पहल पर सीधे बच्चों को भर्ती किया जाता है।
पोषण से पुनर्जीवन तक: साल दर साल सफलता की कहानी
’केंद्र की वार्षिक रिपोर्ट दर्शाती है कि कैसे यह पहल निरंतर कुपोषण से लड़ रही है’:-
वर्ष सुपोषित बच्चे
2013-14 87
2014-15 127
2015-16 149
2016-17 134
2017-18 225
2018-19 208
2019-20 213
2020-21 88
2021-22 33
2022-23 180
2023-24 221
2024-25 224
अप्रैल-जून 2025 63
कुल 1953 बच्चेसंपूर्ण टीम व समर्पण से मिल रहा बेहतर परिणाम
इस उपलब्धि के पीछे जिला प्रशासन की सजगता और स्वास्थ्य विभाग की समर्पित टीम का योगदान है। कलेक्टर श्री रणबीर शर्मा के मार्गदर्शन में सीएमएचओ डॉ. अमृत रोहड़ेलकर, सिविल सर्जन डॉ. लोकेश साहू, अस्पताल प्रमुख डॉ. स्वाति यदु, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक कुमार निराला तथा डॉ. पवन वर्मा सहित पूरी स्वास्थ्य टीम सतत निगरानी और देखरेख करती है। श्रीमती दीप्ति धुरंधर (फीडिंग डिमॉन्स्ट्रेटर), स्टाफ नर्स अंकिता वर्मा, लक्ष्मी परगनिहा, रोहिणी चंद्राकर एवं श्रीमती नमिता दुबे (कुक) जैसे कर्मठ कर्मचारियों का योगदान इस केंद्र की रीढ़ है।
एक कदम बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की ओर
एनआरसी न केवल बच्चों के शरीर को पोषण देता है, बल्कि उनके परिवारों को भी पोषण और स्वास्थ्य के महत्व के प्रति जागरूक करता है। यह पहल बेमेतरा को कुपोषण मुक्त जिला बनाने की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध हो रही है।
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कलेक्टर ने की सभी से सहभागिता की अपील
बिलासपुर : कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल द्वारा बिलासपुर जिले में पर्यावरण संरक्षण और जल संवर्धन के लिए 05 जुलाई से महाअभियान का शुरूआत की जा रही है। इस अभियान का उद्देश्य जिले को हरा भरा पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और जल को संरक्षित करने की दिशा में अग्रसर करना है। शासन के सभी विभाग के समन्वय, स्थानीय समुदाय के सहयोग एवं प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को महाअभियान में जोड़कर इस कार्य को विशेष रूप से किया जा रहा है। इसके लिए तैयारी पूरी कर ली गई है।
वन उद्यान, पंचायती राज एवं शिक्षा विभाग के आपसी समन्वय से ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्र के खाली शासकीय भूमियों पर नर्सरी निर्माण, स्कूलों में वृक्षारोपण, सड़क के किनारे वृक्षारोपण किया जाना है। साथ ही साथ गोठानो में सीएलएफ के माध्यम से फलदार एवं छायादार वृक्षो का रोपण किया जावेगा। वृक्षारोपण के लिए निर्धारित स्थानों पर गड्ढे की खुदाई कर ली गई है। जहां लोगों की भागीदारी से वृहद वृक्षारोपण का कार्य किया जाएगा।
अरपा नदी के किनारे वृक्षारोपण का विस्तार किया जावेगा। जून माह में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक पेड़ मॉ के नाम अभियान को बिलासपुर में उत्साहपूर्वक लागू किया गया। स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रों और ग्राम पंचायतों में सामूहिक वृक्षारोपण आयोजित किए गए। वृक्षारोपण महाअभियान के तहत् जिले के विकासखण्ड बिल्हा में 84 हजार, कोटा 54 हजार, मस्तूरी 60 हजार, तखतपुर 70 हजार एवं सभी उद्योगों से 1 लाख 50 हजार पौधा रोपण किया जाना है। विभिन्न समुदाय/संगठन एवं नागरिको के सहयोग से शासकीय भूमि पर 1 लाख 50 हजार पौधो का रोपण किया जाना है। प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण के तहत् निर्माणाधीन तथा निर्मित आवासों में वृक्षारोपण का कार्य स्वयं हितग्राहियों द्वारा किया जा रहा है, जिसके तहत् जनपद मस्तूरी में 1956 बिल्हा में 2051 कोटा 1986 एवं तखतपुर 1771 पौधे अभी तक रोपित किए जा चुके है।
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राजस्व न्यायालयों की मजबूती और गुणवत्ता पर दिया जोर, पक्षकारों को दो बार से ज्यादा पेशी में न बुलाएं
बिलासपुर : कमिश्नर श्री सुनील जैन ने आज वीसी के जरिए कलेक्टर्स कॉन्फरेंस लेकर राजस्व मामले एवं शासकीय योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने राजस्व न्यायालयों की मजबूती और सुव्यवस्थित करने पर जोर दिया। श्री जैन ने कहा कि किसी भी सूरत में पक्षकारों को दो बार से ज्यादा पेशी में बुलाया नहीं जाना चाहिए। जिस दिन प्रकरण सुनवाई के लिए नियत किया गया है, उस दिन पीठासीन अधिकारी जरूर बैठें। प्रोटोकॉल अथवा अन्य कोई जरूरी काम आकस्मिक रूप से आ जाये तो कोई अन्य अधिकारी इस काम को देखे। काम-काज में ऐसे सुधार करें कि लोगों का राजस्व कोर्ट के प्रति विश्वास सुदृढ़ हो। बैठक में संभाग के सभी आठों जिले के कलेक्टर शामिल हुए। लगभग दो घण्टे तक कमिश्नर ने एजेण्डा के अनुरूप राज्य सरकार की फ्लेगशीप योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की।
संभागायुक्त श्री जैन ने कहा कि राजस्व न्यायालय से जुड़े सभी प्रकरणों में सुनवाई ऑनलाईन होनी चाहिए। एक भी प्रकरण की सुनवाई ऑफलाईन तरीके से न हो। उपर के कोर्ट द्वारा कोई प्रकरण मंगाया जाता है, तो तुरंत उपलब्ध कराया जाये। राजस्व नियमों में समय-समय पर संशोधन होते रहते हैं, इन परिवर्तनों से अपडेट रहें और आदेश में इनका उल्लेख होना चाहिए। नये राजस्व अधिकारियों को आर्डर लिखने सहित राजस्व न्यायालय के काम-काज का प्रशिक्षण दिया जाए। उन्होंने राजस्व निरीक्षकों को भी प्रकरण के निपटारे में उपयोग करने के निर्देश दिए। उन्होंने नक्शा बटांकन का विशेष जिक्र किया। इसकी धीमी प्रगति पर नाराजगी जाहिर करते हुए अभियान छेड़कर इस काम को पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राजस्व विवाद और झगड़े का बड़ा कारण बटांकन का नही होना है। इस काम की महत्ता को राजस्व अधिकारी समझें। इसमें शिथिलता अथवा लापरवाई कदापि स्वीकार नहीं की जायेगी।
कमिश्नर ने कहा की भूमि अधिग्रहण के बाद मुआवजा वितरण में तेजी लाया जाए। अभी तक संभाग में लगभग 30 प्रतिशत मुआवजा वितरण बचा हुआ है। उन्होंने कहा की मुआवजा वितरण के पहले अधिग्रहित जमीन का रिकार्ड दुरुस्त कर लिया जाए। शासन के नाम पर जमीन दर्ज कर लिया जाए ताकि बाद में विवाद की स्थिति ना बने। उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग और भारत माला परियोजना की भी समीक्षा की। श्री जैन ने कहा की गलत बतांकन के आधार पर मुआवजा नहीं दिया जाएगा। स्वामित्व योजना की समीक्षा करते हुए इस पर तेज गति से काम करने के निर्देश दिए। बिलासपुर और रायगढ़ में योजना के तहत प्रगति संतोषजनक नहीं है। सीएम जनदर्शन के तहत प्राप्त आवेदनों के निराकरण की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा की कलेक्टर स्वयं देखें कि निराकरण गुणवत्तापूर्ण हो । लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत आवेदनों के अनावश्यक निरस्त ना करने के निर्देश दिए। मनरेगा की समीक्षा के दौरान कहा फिलहाल आवास निर्माण और पौधों पर फोकस करना है। इसके अलावा उन्होंने जल संरक्षण संबंधी कार्यों को इस योजना में प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। प्रधानमंत्री आवास योजना में अब तक अप्रारंभ कार्यों को शुरू करने के निर्देश दिए। पूरे संभाग में फिलहाल 58 हजार आवास निर्माण शुरू नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि हर आदमी का आयुष्मान कार्ड बने। बाहर गए लोग अभी वापस आ रहे हैं, उनसे संपर्क कर उनका कार्ड बनाया जाए। बुजुर्ग लोगों के लिए शुरू की गई वयवंदन आयुष्मान कार्ड योजना में एक भी बुजुर्ग छूटना नहीं चाहिए। उन्होंने दसवीं और बारहवीं बोर्ड की रिजल्ट बढ़ाने के लिए निर्देश दिए। श्री जैन ने कहा की कार्रवाई के बजाय शिक्षकों को मोटिवेशन दिया जाए कि वह इस काम को कैसे अच्छे तरीके से कर सकते हैं। युक्तियुक्तकरण के बाद भी जहां शिक्षकों की कमी है वहां रिटायर्ड वह पढ़े-लिखे युवाओं का
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बिलासपुर : जिले में किसान अब ऑयल पाम की खेती करेगें। उद्यानिकी विभाग किसानों को नए फसलों के लिए प्रोत्साहित करते हुए पाम की खेती की शुरुआत करने जा रही है। पहले चरण में 300 हेक्टेयर में ऑयल पाम की खेती की योजना बनाई गई है। उसके लिए विभाग किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है। धान की तुलना में 3 से 5 गुना तक ज्यादा कमाई और सब्सिडी जैसी सुविधाएं मिलने से किसान तैयार भी होने लगे है। यानी जल्द ही जिले में ऑयल पाम की खेती होती नजर आएगी। जिले में तखतपुर ब्लॉक के ग्राम घोघाड़ीह में मेगा ऑयल पाम प्लानटेंशन ड्राइव के तहत 01 हेक्टे. (143 पौधे) रकबे के खेत में पौधरोपण किया जा चुका है।
योजना के अंतर्गत केन्द्र एवं राज्य सरकार मिलकर किसानों को भरपूर अनुदान, तकनीकी मार्गदर्शन और विपणन की गारंटी दे रही है। इससे किसानों की आय में स्थायी रुप से बढ़ावा मिलेगा और देश में खाद्य तेलों की आत्मनिर्भरता भी सशक्त बनेगी। भारत को खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आयल पॉम पौध रोपण अहम कदम है। भारत में वर्तमान में 60 से 70 प्रतिशत खाद्य तेल का आयात किया जाता है. जिसमें अकेले पाम ऑयल की हिस्सेदारी लगभग 55-60 प्रतिशत है। इस चुनौती को देखते हुए ऑयल पाम की खेती को बढ़ावा देना रणनीतिक एवं आर्थिक दोनों दृष्टियों से अत्यंत आवश्यक हो गया है।
ऑयल पाम एक ऐसी फसल है. जिसमें न्यूनतम मजदूर की आवश्यकता होती है। ऑयल पाम पौधे में बीमारी होने की संभावना कम होती है। इसकी विशेषता यह है कि एक बार पौधरोपण करने के बाद चौथे वर्ष से उत्पादन शुरु होकर लगातार 25-30 वर्षों तक उत्पादन लिया जा सकता है। प्रति हेक्टेयर 143 पौधे त्रिकोणीय विधि से लगाए जाते है, जिससे चौथे वर्ष में 4-6 टन और सातवें वर्ष के बाद 20-25 टन उत्पादन होने लगता है। यह फसल प्रति हेक्टेयर पारंपारिक फसलों की तुलना में 4 से 6 गुना अधिक तेल उत्पादन देती है। किसान प्रति हेक्टेयर 3 से 4 लाख तक की सालाना आय प्राप्त कर सकते है। यह धान के बदले अन्य फसलों के विकल्प के रुप में एक अच्छा फसल है। यह फसल ड्रीप के माध्यम से न्यूनतम सिंचाई में भी अच्छा उत्पादन का माध्यम है। पाम ऑयल की खेती न केवल फायदेमंद है, बल्कि देश की खाद्य तेलों पर आयात की निर्भरता को भी कम करेगी।
उपसंचालक उद्यान डॉ कमलेश दीवान ने बताया कि किसानों के लिए इसमें आय बढ़ाने का एक और मौका रहता है। पौधे लगाने के बाद पेड़ बनने तक यानी तीन साल किसान पौधों के बीच में ग्राफ्टेड बैंगन, टमाटर, अदरक, हल्दी जैसी फसल लगा सकते है। ऑयल पाम क्षेत्र विस्तार को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की प्रचलित अनुदान प्रावधान न्यूनतम राशि 1.30 लाख के अलावा राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त अनुदान (टॉप-अप) के साथ अधिकतम 2.30 लाख प्रति हेक्टेयर का प्रावधान है। इसमें प्रति हेक्टेयर उद्यानिकी विभाग की ओर से किसानों को रोपण सामग्री, मेंटनेंस, बोरवेल, पंपसेट, फेरािग, ड्रिप के लिए सब्सिडी दी जावेगी। जिले में प्रीयूनिक एशिया प्रायवेट लिमि. कंपनी का विभाग के साथ एमओयू हुआ है। इसमें कंपनी मौके से ही किसानों की फसल खरीदेगी। किसानों को कहीं भी जाने की जरुरत नहीं होगी।
किसान योजना के संबंध में अधिक जानकारी के लिए उद्यानिकी विभाग में कार्यरत अधिकारियों एवं प्रतिनिधि कंपनी से संपर्क कर सकते है। इनमें वरिष्ठ उद्यानिकी विभाग अधिकारी बिल्हा श्री अशोक कुमार परस्ते मो0न0 9617483390, उद्यानिकी विकास अधिकारी तखतपुर श्री जैनेन्द्र कुमार पैकरा मो0न0 6265981957, वरिष्ठ उद्यानिकी विभाग अधिकारी कोटा श्री साधूराम नाग मो0न0 9165490297, प्रभारी उद्यान अधीक्षक मस्तूरी श्रीमती निशा चंदेल मो0न0 7000441324, प्रबंधक प्रीयूनिक एशिया प्रायवेट लिमिटेड श्री संजीव गाईन मो0न0 9630053999, क्षेत्रीय प्रतिनिधि प्रीयूनिक एशिया प्रायवेट लिमिटेड श्री शिव भास्कर मो0न0 9131004397 है।
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केन्द्र और राज्य से मिल रही सब्सिडी, सरकण्डा निवासी शशांक दुबे का बिजली बिल हुआ शून्य
बिलासपुर : प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना एक ऐसी योजना है जिसमें सौर ऊर्जा के माध्यम से घरों तक रोशनी पहुंचाई जा रही है। योजना का उद्देश्य उपभोक्ताओं को बिजली के लिए आत्मनिर्भर बनाना है। इसके तहत हितग्राहियों को केन्द्र सरकार की ओर से 78 हजार रूपए और राज्य सरकार द्वारा 30 हजार तक की सब्सिडी दी जा रही है साथ ही प्रतिमाह 300 यूनिट फ्री बिजली का भी प्रावधान है। योजना के तहत अरविंद नगर सरकण्डा निवासी श्री शशांक शेखर दुबे ने अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगवाया है जिससे हो रहे बिजली उत्पादन से अब उन्हें महंगे बिजली के बिल से राहत मिल रही है और उनके घर का बिजली बिल शून्य हो गया है। इस महत्वपूर्ण योजना के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का आभार जताया है।
अरविंद नगर सरकण्डा निवासी श्री शशांक शेखर दुबे ने बताया कि जब से उन्होंने अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगवाया है, उनके घर का बिजली बिल शून्य हो गया है। सोलर पैनल के जरिए छत पर हो रहे बिजली उत्पादन से उनकी प्रतिमाह बिजली पर होने वाले खर्च की बचत हो रही है। श्री तिवारी ने बताया कि उनकी छत पर 5 किलोवाट का सोलर पैनल लगा है, जिससे हो रहे बिजली उत्पादन से न केवल प्रतिमाह आने वाले बिजली बिल की अब चिंता नहीं रही, वहीं वे उत्पादक के रूप में भी बिजली की सप्लाई भी कर रहे हैं जो गर्व की बात है। सोलर पैनल लगवाने के बाद उनके घर का बिजली बिल शून्य हो गया है। उन्होंने बताया कि 5 किलोवाट सोलर पैनल लगवाने पर उन्हें लगभग 2 लाख की लागत आई है, जिसमें से केन्द्र सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में 78 हजार रूपए प्राप्त हो गए हैं और राज्य सरकार की ओर से भी जल्द ही 30 हजार रूपए की सब्सिडी मिलने वाली है।
उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत केवल 1 बार निवेश करना है जिसके बाद 25 वर्षाे तक बिजली की आपूर्ति होती रहेगी। लंबे समय के लिए यह एक बेहद किफायती योजना है जिसके लिए बैंक द्वारा कम ब्याज दर पर ऋण की भी सुविधा दी जाती है। उन्होंने बताया कि एक बार सोलर पैनल लगवाने के बाद इस पर किसी प्रकार का मेंटेनेन्स खर्च नहीं है और पैनल लगाने वाली कंपनी द्वारा 5 साल तक निःशुल्क सविर्सिंग की सुविधा दी जाती है। उन्होंने कहा कि यह पर्यावरण की दृष्टि ये बेहद उपयोगी है। इस माध्यम से हम सौर ऊर्जा कर उपयोग कर बिजली का उत्पादन कर पा रहे हैं, जो ग्रीन एंनर्जी को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वह इस योजना को अपनाकर सौर ऊर्जा का उपयोग करते हुए बिजली के लिए आत्मनिर्भर बनें और पर्यावरण संवर्धन में अपना योगदान दें।उल्लेखनीय है कि पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के अंतर्गत शासन द्वारा शहरी एवं ग्रामीण घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को अपने घरों की छतों पर रूफ टॉप सोलर प्लाण्ट स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उक्त स्थापित प्लाण्ट नेट मीटरिंग द्वारा विद्युत ग्रिड से जुड़ेगा जिससे उपभोक्ता द्वारा अपनी खपत से अधिक उत्पादित बिजली ग्रिड में सप्लाई हो जाती है। इससे न केवल उपभोक्ता के घर का बिजली बिल शून्य हो जाता है, बल्कि ग्रिड में दी गई बिजली के एवज में अतिरिक्त आमदनी भी मिल जाती है। प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के अंतर्गत प्रति माह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्रदान की जा रही है। प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना से अधिक आय, कम बिजली बिल और नवीन रोजगारों का सृजन होगा तथा नवीनीकृत ऊर्जा स्त्रोत के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। शासन द्वारा इस योजना में 30 हजार रूपये से लेकर 78 हजार रूपये तक अनुदान भी दिया जाता है। योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता पीएम सूर्यघर डॉट जीओव्ही डॉट इन वेब पोर्टल अथवा पीएम सूर्यघर एप्प में पंजीयन करा सकते हैं।
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जल संरक्षण के उपायों पर किया गया विचार-विमर्श
बिलासपुर : भू-जल संवर्धन एवं संरक्षण के लिए जिले में व्यापक अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम जिला पंचायत के सभागार में आयोजित किया गया। आज कार्यशाला के समापन अवसर में कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल शामिल हुए। कार्यशाला में सीईओ जिला पंचायत श्री संदीप अग्रवाल समेत संभाग के सभी जिलों के सीईओ जिला पंचायत ने भी भाग लिया। कार्यशाला में जल का बचाव कर भविष्य के लिए जल संरक्षण के उपायों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। केंद्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में भू-जल संरक्षण के विषय में रिजनल डायरेक्टर सी जी. डब्ल्यू, वी एनसीसीआर रायपुर से आये डॉ. प्रवीर के. नायक द्वारा विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यशाला में भू-जल संवर्धन के लिए जनभागीदारी पर बल दिया गया। कैसे जन जागरूकता और प्रति व्यक्ति जिम्मेदारी के साथ इस समस्या का समाधान किया जाएगा, इस पर गहन चर्चा की गई।
कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल ने कहा कि पानी केवल प्राकृतिक संसाधन नहीं बल्कि जीवन का आधार है। जिस तेजी से भू-जल स्तर गिर रहा है। वह न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक खतरा बन चुका है। हमने आने वाले पीढ़ियों का पानी भी उपयोग कर लिया है। उन्होंने कहा कि जल संकट से बचने के लिए यदि अभी से ठोस कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। जिस तेजी से हम भूमिगत जल का दोहन कर रहे है। उसी हिसाब से नीचे पानी नहीं भेज रहे है। पुराने समय में शहर भी नदियों के किनारे बसते थे। हमारे यहां बहुत अच्छी बारिश होती है लेकिन हम इसका संरक्षण नहीं कर पाते है। कलेक्टर ने कहा कि हमें जनभागीदारी से भू-जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रयास करना होगा। राज्य में राजनांदगांव, धमतरी जिले में इस दिशा में सराहनीय कार्य किया गया है।
कलेक्टर ने कहा कि बिलासपुर जिले में भी हम जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए लगातार काम कर रहे है। गांव का पानी गांव में रोकने का प्रयास हमें जनभागीदारी से करना होगा। हमने मोर गांव मोर पानी अभियान के तहत कच्चा नाला बंधान, सोख्ता गड्ढा, रिचार्ज पिट, इंजेक्शन वेल, डिफक्ट बोर वेल जैसे नवाचार अपनाया है। एक ही दिन में 40 हजार सोकपिट बनाए गए। गांव-गांव में अभियान को लेकर जन जागरूकता के लिए रैली और संगोष्ठी आयोजित की जा रही है। अभी तक जन जागरूकता के लिए गांव में 486 रैली निकाली गई है। उन्होंने कहा कि जल ऐसी चीज है जिससे जीवन यापन के लिए हर चीज बनाई जाती है पर जल नहीं बनाया जा सकता। यह प्राकृतिक है और सीमित है।
कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों ने वर्षा जल के संचय, संरक्षण और भू-जल को रिचार्ज करने के उपायों पर तीन दिन तक प्रशिक्षण दिया। विषय विशेषज्ञों ने कार्यशाला में कहा कि छत्तीसगढ़ में पर्याप्त बारिश होती है इसके संरक्षण एवं संवर्धन से पानी की दिक्कतों को दूर किया जा सकता है। कार्यशाला में जन प्रतिनिधिगण, उद्योगपति, विभागों के कार्यपालन अभियंता और प्रबुद्धजन शामिल हुए।
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बच्चों और माताओं को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं की ली जानकारी, व्यवस्थाओं पर जताई संतुष्टि
बेमेतरा : छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा ने शुक्रवार को शाम जिला चिकित्सालय बेमेतरा पहुंची। उन्होंने एमसीएच बिल्डिंग में प्रसव कक्ष, पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी), एसएनसीयू वार्ड समेत अन्य चिकित्सा इकाइयों का गहन अवलोकन किया।इस दौरान डॉ. शर्मा ने अस्पताल में भर्ती प्रसूता महिलाओं, नवजात शिशुओं एवं उनके परिजनों से बातचीत कर अस्पताल में मिल रही इलाज एवं देखरेख की सुविधाओं की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने चिकित्सा स्टाफ द्वारा दी जा रही सेवाओं और अस्पताल परिसर में उपलब्ध स्वच्छता एवं सुविधाओं पर संतोष व्यक्त किया। इस अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष विजय सिन्हा, पार्षद नीतू कोठारी, आयोग की सदस्य निवेदिता जोशी, प्रफुल्ल शर्मा भी उनके साथ उपस्थित थे।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.अशोक बसोड़, सिविल सर्जन डॉ.लोकेश साहू, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक निराला, मेट्रन, अस्पताल प्रमुख सलाहकार डॉ. स्वाति यदु, जिला मीडिया प्रभारी संजय तिवारी, फीडिंग डेमॉन्स्ट्रेटर दीप्ति धुरंधर समेत अन्य चिकित्सकीय स्टाफ एवं मरीजों के परिजन मौजूद थे। डॉ. शर्मा ने अस्पताल प्रशासन को कहा कि बच्चों एवं माताओं को समुचित पोषण, समय पर उपचार तथा साफ-सुथरा वातावरण सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने पोषण पुनर्वास केंद्र की विशेष सराहना करते हुए इसे कुपोषण मुक्ति के लिए प्रभावी पहल बताया। उन्होंने पोषण पुनर्वास केंद्र की पंजी और प्रतिदिन बच्चों की नियमित पोषण डाइट आदि अवलोकन किया।
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जल जीवन मिशन के माध्यम से 73 ग्रामीण परिवारों को घर पर नल से पेयजल उपलब्ध
रायपुर : राज्य शासन की प्राथमिकता वाली योजना जल जीवन मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन से राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ विकासखंड के ग्राम बंजारी एवं फत्तेगंज में पेयजल संकट का समाधान हुआ है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्री अरूण साव के मार्गदर्शन में जल जीवन मिशन के अंतर्गत इन ग्रामों में पाइपलाइन विस्तार कार्य पूर्ण कर प्रत्येक घर में नल के माध्यम से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है।
ग्राम पंचायत चारभाठा के आश्रित ग्राम बंजारी में 39 तथा फत्तेगंज में 34 परिवार निवासरत हैं, जहां पूर्व में पेयजल का एकमात्र स्रोत हैंडपंप ही था। गर्मी के मौसम में जलस्तर गिरने के कारण ग्रामीणों को पेयजल हेतु लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। विशेषकर महिलाओं को दैनिक उपयोग हेतु पानी लाने में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, जिससे उनका अधिकांश समय पेयजल संग्रहण में व्यतीत होता था। उक्त समस्या के स्थायी समाधान हेतु जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्राम बंजारी में 950 मीटर एवं फत्तेगंज में 750 मीटर पाइपलाइन बिछायी गई। सौर ऊर्जा आधारित पम्प प्रणाली के माध्यम से इन ग्रामों में 24 घंटे नियमित रूप से पर्याप्त मात्रा में पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की गई है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में ग्रामों को हर घर जल घोषित किया गया है। इस योजना से ग्रामीणों की दिनचर्या में सकारात्मक बदलाव आया है। अब पेयजल व्यवस्था में लगने वाला समय अन्य रचनात्मक एवं आर्थिक गतिविधियों में उपयोग किया जा रहा है, जिससे उनकी उत्पादकता में वृद्धि हुई है तथा जीवन स्तर में सुधार हुआ है।ग्राम की निवासी श्रीमती निर्मला साहू एवं श्रीमती अंजू सिन्हा ने बताया कि पूर्व में पेयजल की व्यवस्था हेतु दिन का अधिकांश समय खर्च होता था, जिससे बच्चों की देखभाल एवं उनकी शिक्षा पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाती थीं। अब घर में ही नल से जल उपलब्ध होने से बच्चों को पढ़ाई के लिए अधिक समय मिलने लगा है, जिससे शैक्षणिक प्रगति भी हुई है। जल जीवन मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन से ग्राम बंजारी एवं फत्तेगंज में न केवल पेयजल संकट का समाधान हुआ है, अपितु सामाजिक और शैक्षणिक विकास को भी गति मिली है।
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गुणवत्ता युक्त खाद-बीज से खरीफ सीजन की तैयारी में दिखा उत्साह
रायपुर : खरीफ 2025 की शुरुआत के साथ ही छत्तीसगढ़ के खेतों में हरियाली की उम्मीदें पल्लवित होने लगी हैं। राज्य शासन के निर्देश पर सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को समय पर खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा रही है, जिससे कृषक समुदाय में उत्साह का वातावरण है। कोरबा जिले के करतला विकासखंड अंतर्गत बांधापाली निवासी कृषक श्री मानकुमार ने खाद-बीज वितरण व्यवस्था पर संतोष व्यक्त करते हुए बताया कि इस वर्ष मानसून की समय पर आमद तथा सहकारी समिति से खाद एवं बीज की समय पर उपलब्धता ने किसानों का आत्मविश्वास बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि अब उन्हें बाजारों की ओर नहीं देखना पड़ता, न ही लंबी कतारों में लगने की जरूरत है। समिति में सहज और सुव्यवस्थित रूप से यूरिया, एनपीके एवं सुपर फॉस्फेट जैसे उर्वरक उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
कृषक श्री मानकुमार ने बताया कि उन्होंने इस वर्ष 10 एकड़ में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया है। खेतों की जुताई पूर्ण हो चुकी है और हाल ही में क्षेत्र में हुई अच्छी बारिश से रोपाई का कार्य भी आरंभ हो गया है। खाद-बीज की समय पर उपलब्धता के कारण वे पहले से बेहतर उत्पादन की तैयारी में जुटे हैं। रियायती दर पर गुणवत्तापूर्ण सामग्री प्राप्त होने से उन्हें आर्थिक संबल भी प्राप्त हुआ है।
उन्होंने बताया कि वर्षों बाद ऐसा समन्वय देखने को मिला है जब समय पर वर्षा और समय पर उर्वरकों की आपूर्ति दोनों एक साथ हो रही है। इससे किसानों के मन में नई उम्मीदें जागी हैं और राज्य सरकार की योजनाओं के प्रति विश्वास और गहरा हुआ है। शासन के निर्देश पर समितियों को पर्याप्त मात्रा में खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है ताकि किसानों को किसी तरह की असुविधा न हो। खाद-बीज की समय पर उपलब्धता न केवल कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति प्रदान करेगी। कृषक श्री मानकुमार जैसे अनेक किसान अब खरीफ की तैयारी में आत्मविश्वास से परिपूर्ण हैं और आशा है कि यह मौसम उनकी मेहनत को समृद्धि में बदल देगा।
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ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने कार्ययोजना जरूरी
रायपुर : खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की सचिव एवं बलरामपुर-रामानुजगंज जिले की प्रभारी सचिव श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले की अध्यक्षता में आज संयुक्त जिला कार्यालय भवन परिसर में विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई।बैठक में प्रभारी सचिव श्रीमती कंगाले ने विभिन्न विभागों की योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करते हुए कहा कि योजनाओं की प्रभावी मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने तथा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जनकल्याणकारी योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार कर अधिक से अधिक नागरिकों को लाभान्वित किया जाना चाहिए। उन्होंने जिले में ईको-टूरिज्म की व्यापक संभावनाओं को देखते हुए इस दिशा में एक समग्र एवं प्रभावी कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए।
प्रभारी सचिव ने राजस्व विभाग की समीक्षा करते हुए अविवादित, विवादित नामांतरण, सीमांकन, त्रुटि सुधार सहित लंबित प्रकरणों का समयबद्ध निराकरण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत विशेष पिछड़ी जनजातियों के समग्र उत्थान हेतु किए जा रहे प्रयासों की जानकारी लेते हुए उन्होंने कहा कि इन समुदायों को शासन की मुख्यधारा से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। प्रधानमंत्री आवास योजना की समीक्षा में उन्होंने निर्माण कार्यों की गति बढ़ाने तथा लक्ष्यानुरूप प्रगति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। मनरेगा अंतर्गत संचालित गतिविधियों एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्राप्त उपलब्धियों की भी जानकारी ली गई।
बैठक में उन्होंने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के क्रियान्वयन की प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए उन्होंने पूर्व पंजीकृत कृषकों का अद्यतन पंजीयन भारत सरकार के निर्देशानुसार पूर्ण कराने के निर्देश दिए। शिक्षा विभाग की समीक्षा में उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाए तथा शिक्षकों को समय-समय पर आधुनिक शिक्षण तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि परीक्षा परिणामों में निरंतर सुधार हो सके। बैठक में जल जीवन मिशन, खाद-बीज आपूर्ति, सौर सुजला योजना, उद्योग विभाग की योजनाएं, स्वच्छ भारत मिशन, रेशम विभाग की गतिविधियों तथा रोजगार सृजन कार्यक्रमों की भी गहन समीक्षा की गई।
बैठक में कलेक्टर श्री राजेन्द्र कटारा ने जिले की प्रमुख उपलब्धियों, विकास कार्यों, सामाजिक-आर्थिक संरचना, स्थानीय चुनौतियों एवं प्रशासनिक प्रयासों की जानकारी दी। पुलिस अधीक्षक श्री बैंकर वैभव रमनलाल ने अपराध नियंत्रण, कानून-व्यवस्था तथा सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम हेतु किए गए प्रयासों से अवगत कराया। वनमण्डलाधिकारी श्री आलोक कुमार बाजपेयी ने ‘एक पेड़ माँ के नाम‘ अभियान के अंतर्गत किए जा रहे पौधारोपण कार्यों की जानकारी दी तथा बताया कि पर्यावरण संरक्षण हेतु जनभागीदारी बढ़ रही है। उन्होंने हाथियों द्वारा प्रभावित ग्रामीणों को मुआवजा वितरण एवं ईको-टूरिज्म विकास की दिशा में उठाए गए कदमों की भी जानकारी दी। बैठक में जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती नयनतारा सिंह तोमर, अपर कलेक्टर श्री आर.एस. लाल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री विश्व दीपक त्रिपाठी सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
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रायपुर : वर्षा ऋतु में खाद्य जनित बीमारियों की रोकथाम हेतु बलौदाबाजार जिले में खाद्य पदार्थों की सतत निगरानी की जा रही है। इसी कड़ी में खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम द्वारा बलौदाबाजार विकासखंड अंतर्गत ग्राम अर्जुनी स्थित 8 प्रतिष्ठानों में आकस्मिक निरीक्षण किया गया। खाद्य सुरक्षा अधिकारी श्री उमेश वर्मा ने बताया कि शुक्रवार को की गई जांच कार्रवाई के दौरान कुल 45 खाद्य नमूने लिए गए। जांच में एक प्रतिष्ठान में विक्रय हेतु रखे गए बूंदी लड्डू और जलेबी अवमानक स्तर के पाए गए। इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए लगभग 4 किलोग्राम जलेबी एवं 3 किलोग्राम बूंदी लड्डू का मौके पर ही नष्टीकरण किया गया। उन्होंने बताया कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा लगातार निगरानी और जांच अभियान चलाया जा रहा है, ताकि बरसात के मौसम में मिलावटी और खराब खाद्य पदार्थों की बिक्री पर नियंत्रण रखा जा सके एवं आमजन को सुरक्षित खाद्य सामग्री उपलब्ध हो सके।
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डीएपी खाद के स्थान पर दूसरी खादों को मिलाकर खेतों में डालने की सलाह
महासमुंद : पूरे देश में डीएपी खाद की संभावित कमी को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने डीएपी खाद के स्थान पर अन्य दूसरी खादों का उपयोग करने की सलाह किसानों को दी है। कृषि वैज्ञानिकों ने धान की जल्दी पकने वाली किस्मों के लिए डीएपी के स्थान पर 52 किलो यूरिया, एक सौ किलो सुपर फास्फेट और 13 किलो पोटाश मिलाकर एक एकड़ फसल में उपयोग करने की सलाह दी है। इसी तरह एनपीके 12ः32ः16 खाद की 50 किलो मात्रा, यूरिया की 39 किलो मात्रा को भी एक साथ मिलाकर एक एकड़ की जल्दी पकने वाली धान की किस्म के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसी तरह कॉम्पलेक्स खाद 20ः20ः00ः13 की 80 किलोग्राम मात्रा, यूरिया की 18 किलोग्राम मात्रा और पोटाश की 13 किलो मात्रा को मिलाकर भी जल्दी पकने वाली धान के एक एकड़ खेत में उपयोग किया जा सकता है।
कृषि विशेषज्ञों ने धान की लम्बी अवधि की 140 दिन से अधिक में पकने वाली किस्मों के लिए भी मिश्रित खादों की अनुशंसा की है। धान की लम्बी अवधि की फसलों में डीएपी के स्थान पर 70 किलो यूरिया, 125 किलो सुपर फास्फेट और 20 किलो पोटाश मिलाकर एक एकड़ फसल में उपयोग करने की सलाह दी है। इसी तरह एनपीके 12ः32ः16 खाद की 62 किलो मात्रा, यूरिया की 54 किलो और पोटाश की 4 किलोग्राम मात्रा को भी एक साथ मिलाकर एक एकड़ की लम्बी अवधि में पकने वाली धान की किस्म के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसी तरह कॉम्पलेक्स खाद 20ः20ः00ः13 की 100 किलोग्राम मात्रा, यूरिया की 26 किलोग्राम मात्रा और पोटाश की 20 किलो मात्रा को मिलाकर भी देर से पकने वाली धान के एक एकड़ खेत में उपयोग किया जा सकता है।
कृषि वैज्ञानिकों ने धान की मध्यम अवधि में 125-140 दिन में पकने वाली किस्मों के लिए डीएपी के स्थान पर 87 किलो यूरिया, 150 किलो सुपर फास्फेट और 27 किलो पोटाश मिलाकर एक एकड़ फसल में उपयोग करने की सलाह दी है। इसी तरह एनपीके 12ः32ः16 खाद की 75 किलो मात्रा, यूरिया की 67 किलो और पोटाश की सात किलोग्राम मात्रा को भी एक साथ मिलाकर एक एकड़ की मध्यम अवधि की धान की किस्म के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसी तरह कॉम्पलेक्स खाद 20ः20ः00ः13 की 120 किलोग्राम मात्रा, यूरिया की 35 किलोग्राम मात्रा और पोटाश की 27 किलो मात्रा को मिलाकर भी मध्यम अवधि की धान के एक एकड़ खेत में उपयोग किया जा सकता है।
कृषि वैज्ञानिकों ने हाईब्रिड धान की किस्मों के लिए डीएपी के स्थान पर 113 किलो यूरिया, दो सौ किलो सुपर फास्फेट और 40 किलो पोटाश मिलाकर एक एकड़ फसल में उपयोग करने की सलाह दी है। इसी तरह एनपीके 12ः32ः16 खाद की एक सौ किलो मात्रा, यूरिया की 86 किलो मात्रा और पोटाश 13 किलोग्राम को भी एक साथ मिलाकर एक एकड़ की हाईब्रिड धान के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसी तरह कॉम्पलेक्स खाद 20ः20ः00ः13 की 160 किलोग्राम मात्रा, यूरिया की 44 किलोग्राम मात्रा और पोटाश की 40 किलो मात्रा को मिलाकर भी हाईब्रिड धान के एक एकड़ खेत में उपयोग किया जा सकता है।
कृषि वैज्ञानिकों ने मक्का फसल के लिए भी डीएपी के स्थान पर दूसरे खाद समूह को खेतों मे डालने की सलाह किसानों को दी है। मक्का की संकुल किस्मों के लिए किसान 70 किलो यूरिया, एक सौ किलो सुपर फास्फेट और 20 किलो पोटाश मिलाकर एक एकड़ फसल में उपयोग कर सकते हैं। इसी तरह एनपीके 12ः32ः16 खाद की 50 किलो मात्रा, यूरिया की 56 किलो और पोटाश की 7 किलो मात्रा को भी एक साथ मिलाकर एक एकड़ की मक्का की फसल में उपयोग किया जा सकता है। इसी तरह कॉम्पलेक्स खाद 20ः20ः00ः13 की 80 किलोग्राम मात्रा, यूरिया की 35 किलोग्राम मात्रा और पोटाश की 20 किलो मात्रा को मिलाकर भी मक्के की संकुल किस्म की फसल के एक एकड़ खेत में उपयोग किया जा सकता है।
मक्के की हाईब्रिड किस्मों के लिए किसान डीएपी की कमी होने पर 87 किलो यूरिया, 150 किलो सुपर फास्फेट और 27 किलो पोटाश मिलाकर एक एकड़ फसल में उपयोग कर सकते हैं। इसी तरह एनपीके 12ः32ः16 खाद की 75 किलो मात्रा, यूरिया की 67 किलो और पोटाश की 7 किलो मात्रा को भी एक साथ मिलाकर एक एकड़ की हाईब्रिड मक्का की फसल में उपयोग किया जा सकता है। इसी तरह कॉम्पलेक्स खाद 20ः20ः00ः13 की 120 किलोग्राम मात्रा, यूरिया की 35 किलोग्राम मात्रा और पोटाश की 27 किलो मात्रा को मिलाकर भी मक्के की हाईब्रिड किस्म की फसल के एक एकड़ खेत में उपयोग किया जा सकता है।
सोयाबीन और मूंगफली की फसल लगाने वाले किसानों के लिए कृषि विशेषज्ञों ने डीएपी की कमी होने पर 17 किलो यूरिया, 200 किलो सुपर फास्फेट और 13 किलो पोटाश मिलाकर एक एकड़ फसल में उपयोग करने की सलाह दी है। इसी तरह किसान सोयाबीन और मूंगफली की फसल में एनपीके 12ः32ः16 खाद की 100 किलोग्राम एक एकड़ की फसल में उपयोग कर सकते हैं।
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रायपुर : प्रदेश में स्वतंत्रता दिवस समारोह हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी गरिमापूर्वक मनाया जाएगा। अपर मुख्य सचिव श्रीमती रेणु जी पिल्ले की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय महानदी भवन में स्वतंत्रता दिवस समारोह के आयोजन की तमाम तैयारियों के संबंध में अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में स्वतंत्रता दिवस के आयोजन की तैयारियों के संबंध में व्यापक विचार-विमर्श किया गया। राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउण्ड में राज्य स्तरीय समारोह का आयोजन प्रातः 9 बजे से होगा। स्वतंत्रता दिवस समारोह की विभिन्न व्यवस्थाओं के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई।
स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर शानदार परेड का आयोजन होगा।समारोह स्थल पर परेड कार्यक्रम में भाग लेने वाली टूकड़ियों के निर्धारण एवं रिहर्सल हेतु पुलिस उप महानिरीक्षक छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल द्वारा पुलिस महानिदेशक के मार्ग दर्शन में सभी आवश्यक तैयारियां एवं व्यवस्था की जाएगी। इसी तरह से यातायात, पार्किंग, टैªफिक एवं सुरक्षा व्यवस्था, पुलिस महानिरीक्षक रायपुर द्वारा की जाएगी। कार्यक्रम स्थल पर साफ-सफाई की व्यवस्था तथा मंच/पंडाल व्यवस्था और बैठक व्यवस्था का निर्धारण आयुक्त नगर पालिक निगम रायपुर के द्वारा की जाएगी। स्कूली बच्चों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले कार्यक्रमों का निर्धारण स्कूल शिक्षा विभाग तथा संास्कृतिक विभाग द्वारा किया जाएगा। जिला एवं तहसील स्तर पर आयोजित किए जाने वाले स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रमों के निर्धारण के संबंध में शीघ्र ही निर्देश सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किए जाएंगे। इसी तरह से स्वतंत्रता दिवस समारोह के संबंध में अन्य विभागों के अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। बैठक में राजस्व विभाग के सचिव श्री अविनाश चंपावत, उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. एस.भारतीदासन, गृह विभाग की सचिव श्रीमती नेहा चंपावत, आयुक्त जनसम्पर्क डॉ. रवि मित्तल सहित अन्य विभागों के अधिकारी शामिल हुए।
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उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा पाँच जिलों में जमीनी हकीकत का लिया जायजा
रायपुर : उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री श्री विजय शर्मा ने अपने 3 दिवसीय बस्तर प्रवास के दौरान 5 जिलों नारायणपुर, बीजापुर, बस्तर, दंतेवाड़ा और सुकमा का सड़क मार्ग से दौरा किया। उन्होंने हर जिले में अलग-अलग स्तरों पर आमजन, जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, सुरक्षा बलों और विद्यार्थियों से प्रत्यक्ष संवाद करते हुए शासन की योजनाओं की प्रगति को देखा और ज़मीनी हकीकत जानी।उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने अपनी यात्रा की शुरुआत अबूझमाड़ के अति संवेदनशील ग्राम इरकभट्टी से की, जहाँ उन्होंने सुरक्षा बलों के कैम्प में जवानों से मुलाकात की और उनके योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उन्हीं की दृढ़ता और निष्ठा से आज बस्तर में लोकतंत्र मजबूत हो रहा है।उन्होंने इरकभट्टी आश्रम का निरीक्षण किया और स्कूली बच्चों के साथ बैठकर भोजन किया। इसके पश्चात प्राथमिक शाला में पहुँचकर बच्चों से आत्मीय संवाद किया, उनका परिचय लिया और उन्हें मन लगाकर पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया। जनचौपाल में ग्रामीणों से संवाद करते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि अबूझमाड़ जैसे क्षेत्रों में विकास की रफ्तार को रोकने वाली शक्तियाँ अब प्रभावहीन हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की मंशा के अनुरूप सभी योजनाओं को गाँव-गाँव तक पहुँचाना हमारा लक्ष्य है।उन्होंने सीएससी सेंटर खोलने, राशन और महतारी वंदन योजना की राशि गाँव में ही मिलने की व्यवस्था और महिलाओं के लिए चावल की ब्रांडिंग की पहल की जानकारी दी। आत्मसमर्पित नक्सलियों से पुनर्वास केंद्र में चर्चा करते हुए उन्होंने शासन की योजनाओं का लाभ उन तक सुनिश्चित करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कौशल विकास, एक्सपोजर विजिट, देशभक्ति फिल्मों और नियमित आय के स्रोतों से जोड़ने की बात कही। इसके पश्चात जिले अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक लेकर शासन की योजनाओं की जानकारी मांगी।अगले दिन बस्तर के जगदलपुर में जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियो के साथ चर्चा की उसके बाद बीजापुर जिले में उपमुख्यमंत्री ने शाला प्रवेश उत्सव कार्यक्रम में भाग लिया, जहाँ 14 बंद पड़े स्कूलों को पुनः प्रारंभ किया गया और दो नए स्कूलों का उद्घाटन किया गया। बच्चों को बैग, किताबें, गणवेश और प्रवेश प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि शिक्षा की रोशनी गाँव-गाँव तक पहुँचे, यही सरकार का सपना है और उसे पूरा करने का संकल्प हम सबने लिया है।भैरमगढ़ के फुंडरी गाँव में निर्माणाधीन उच्चस्तरीय पुल का निरीक्षण करते हुए उन्होंने कार्य की धीमी गति पर नाराजगी जताई और समयबद्धता व गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने सीआरपीएफ के जवानों से मिलकर उनके साहस और सेवाभाव की सराहना की, कहा कि उनका योगदान इस पूरे क्षेत्र को सुरक्षित और भयमुक्त बना रहा है।दंतेवाड़ा जिले में पहुँचते ही उपमुख्यमंत्री ने बस्तर की आराध्य देवी माँ दंतेश्वरी के मंदिर में विधिवत पूजन किया और साष्टांग प्रणाम अर्पित करते हुए प्रदेश की सुख, समृद्धि और शांति की कामना की।सुकमा में उपमुख्यमंत्री ने जिला मुख्यालय में आयोजित शाला प्रवेश उत्सव और चरण पादुका वितरण कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने स्कूली बच्चों को मुकुट पहनाकर उनका स्वागत किया और शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यदि गाँवों में शिक्षा होगी तो भय और लाल आतंक की कोई जगह नहीं रहेगी। उन्होंने बताया कि जिले में 1000 से अधिक स्कूल संचालित हो रहे हैं, जो इस अंचल के लिए एक उपलब्धि है। उन्होंने तेंदूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका वितरित की और बच्चों को प्रेरणास्पद संदेश देते हुए कहा कि ये आयोजन केवल प्रतीकात्मक नहीं हैं, बल्कि नए युग के आरंभ का संकेत हैं।पुनर्वास केंद्र में आत्मसमर्पित नक्सलियों से भेंट करते हुए उन्होंने कौशल विकास, आधार कार्ड, आयुष्मान योजना, बैंक खाता जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। साथ ही युवाओं के लिए शिक्षा, खेल, एक्सपोजर विजिट और नियमित आमदनी के लिए विशेष योजनाएं प्रारंभ करने की बात कही। कलेक्ट्रेट कार्यालय में आयोजित समीक्षा बैठक में उन्होंने मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना के अंतर्गत सुकमा, छिंदगढ़ और कोंटा विकासखंडों के 24 ग्रामों में सड़कों, सामुदायिक भवनों और शेड निर्माण हेतु ₹1.51 करोड़ की स्वीकृति दी। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि यह केवल निर्माण नहीं, बल्कि सामाजिक विश्वास का निर्माण है और इस कार्य में जनता की सहभागिता अत्यंत आवश्यक है। -
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महासमुंद : राज्यपाल श्री रमेन डेका आज पिथौरा विकासखंड अंतर्गत गोड़बहाल पहुंचे। इस अवसर पर उन्होंने शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल, गोड़बहाल परिसर में “एक पेड़ मां के नाम“ अभियान के तहत नीम का पौधा रोपित किया। राज्यपाल द्वारा पर्यावरण संरक्षण और जन-जागरूकता के उद्देश्य से इस पौधरोपण कार्यक्रम में सहभागिता दी गई। इस दौरान उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों एवं जनसमुदाय को अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया।